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कांग्रेस इंडिया गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के साथ 2019 में लड़ी गई सीटों के नतीजों के साथ समीक्षा कर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला निकालने की मशक्कत कर रही है। इसमें सबसे बड़ा पेंच 2019 के लोकसभा चुनाव में जीती हुई 61 सीटों को लेकर फंसा हुआ है। इन सीटों को कोई भी दल छोड़ने को तैयार नहीं है। इस तरह की मुश्किल पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल में ज्यादा दिख रही है।
इंडिया गठबंधन का अस्तित्व ही कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों की ‘कुर्बानी’ पर टिका है। गठबंधन की चार बैठकों में नेताओं ने ‘कुर्बानी’ का नारा तो दिया लेकिन इसे अमल में कोई भी नहीं लाना चाहता। यही वजह है कि जेडीयू ने बिहार को लेकर स्थिति साफ कर दी है कि 2019 में जीती सभी 16 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है बल्कि हारी हुई एक सीट पर भी दावेदारी जता दी है। कांग्रेस ने पंजाब की 13 में से 8 सीटें, केरल की 20 में से 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की 42 में से 22 सीटें जीत रखी है। इन जीती हुई सीटों के साथ ये सभी दल हारी हुई कुछ अन्य सीटों पर भी दावा ठोक रहे हैं, जिसके चलते बातचीत ट्रैक पर नहीं आ रही है। कांग्रेस का पंजाब में आप और केरल में सीपीएम से विवाद बना हुआ है। वहीं बंगाल में टीएमसी भी कांग्रेस को ज्यादा सीट देने के मूड में नहीं दिख रही है।