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पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद अब मंत्रीमंडल के गठन की कवायद भी शुरू हो गई है। राजस्थान में भाजपा के वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यों को शपथ दिलाना और स्पीकर का चुनाव कराना होता है।
प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर (Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है-‘कुछ समय के लिए’। प्रोटेम स्पीकर कुछ समय के लिए राज्यसभा और विधानसभा में काम करता है। प्रोटेम स्पीकर वह व्यक्ति होता है जो विधानसभा और लोकसभा के स्पीकर के पद पर कुछ समय के लिए कार्य करता है। यह अस्थायी होता है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राज्यपाल करता है। आमतौर पर इसकी नियुक्ति तब तक के लिए होती है, जब तक स्थायी विधानसभा अध्यक्ष ना चुन लिया जाए। प्रोटेम स्पीकर ही नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ दिलाता है। शपथ ग्रहण का पूरा कार्यक्रम प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में होता है।
प्रोटेम स्पीकर के कार्य 1. नए सदस्यों को शपथ दिलाना। 2. विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराना। 3. फ्लोर टेस्ट करने का काम करना। 4. स्थायी स्पीकर चुने जाने तक सदन की गतिविधियों को चलाना। 5. सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने का कार्य।
कोन बन सकता प्रोटेम स्पीकर, प्रोटेम स्पीकर के पद पर सदन के वरिष्ठ सदस्य को चुना जाता है। जो सदन में नए एवं स्थायी स्पीकर का चुनाव करने में सहायता करता है। प्रोटेम स्पीकर उसे ही बनाया जाता है, जो कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुका हो।भारत के संविधान के अनुच्छेद 180 के तहत राज्यपाल के पास सदन का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने की शक्ति होती है। जब सदन नए स्पीकर का चुनाव करता है, तो प्रोटेम स्पीकर का पद मौजूद नहीं रहता है। इसलिए प्रोटेम स्पीकर का पद अस्थायी है, जो कुछ दिनों के लिए ही अस्तित्व में रहता है।