।।श्री हरि:।।
हे नाथ! हे मेरे नाथ!! मैं आपको भूलूँ नहीं!!
“भगवान् का आश्रय लेना और अपने लिये कुछ न करना ही गीताका तात्पर्य है।” -श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज
दिनांक: 9-04-2024, वार: मंगलवार, सूर्योदय प्रात: 06:19, बजेसूर्यास्त : सांय 6:58 बजे, चन्द्रोदय : सांय 06:56, हिन्दु मास : चैत्र शुक्ला ,प्रतिपदा विक्रम सम्वत : 2081, सम्वत नाम: पिंगल , तिथि – प्रतिपदा, नक्षत्र – रेवती 07:31 तक अश्विनी, सूर्य राशि – मीन, चंद्र राशि – मीन 14:09 तक मेष, अभिजित मुहूर्त: 12:13 से 13:04
दिशा शूल: उत्तर घट स्थापना शुभमुहूर्त:सुबह 9:40 से 2:15 दोपहर।
नव वर्ष में होगा ब्रह्माण्ड का सत्ता परिवर्तन– राजा मंगल और मंत्री होंगे शनि चैत्र महीने की प्रतिपदा के दिन सूर्य उदय के समय के वार के स्वामी को वर्ष का राजा कहा जाता है। और इसी दिन से सनातनी नववर्ष का आरंभ होता है। संहिता ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो यह ग्रह स्थिति वर्ष भर की शुभ-अशुभ बड़ी घटनाओं के फलकथन के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण है।
• चैत्र महीने की प्रतिपदा के दिन सूर्य उदय के समय के वार के स्वामी को वर्ष का राजा कहा जाता है। इस वर्ष चैत्र प्रतिपदा की तिथि 9 अप्रैल को मंगलवार पड़ने से इस वर्ष के राजा मगल होने से राजनीतिक उठापटक, तेज़ गर्मी और अनहोनी घटनाओं की आशंका
नववर्ष की कुंडली के अनुसार शनि और मंगल की प्रभाव-•भारत में पत्रकारों, मीडिया संस्थानों और कलाकारों के लिए अशुभ है। इस वर्ष कुछ बड़े पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को सरकारी हस्तक्षेप और जांच एजेंसियों की कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
•खेल जगत में भारत को इस वर्ष पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में बड़ी सफलता मिल सकती है।
•हिंदू नव वर्ष की कुंडली में पंचम भाव में बुध और गुरु जैसे शुभ ग्रहों की स्थिति भारत में फिल्म जगत तथा मनोरंजन से सम्बंधित कार्यों के लगे लोगों के लिए शुभ है।
•विद्यार्थियों को भी इस वर्ष में सरकार की रोजगार सम्बन्धी नीतियों से कुछ लाभ मिलने की संभावना बनती है।
नए वर्ष पर, अमृतसिद्धि, और अन्य शुभ योगों के साथ, मिलेगा मां दुर्गा का भक्तों को आशीर्वाद- सनातन वैदिक धर्म में नवरत्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर लगातार 9 दिनों तक देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान के साथ पूजा उपासना की जाती है। ऋग्वेदिय रांका वेद पाठशाला के ज्योतिषाचार्य मोहित बिस्सा के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से आरंभ होकर 17 अप्रैल तक रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। इसके साथ इस तिथि से ही नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत आरंभ होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना होती है, फिर अष्टमी और नवमी तिथि को छोटी कन्याओं की पूजा होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आ रही हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं और 9 दिनों तक अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी हर एक परेशानियों का दूर करती हैं।
इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग में होने जा रही है- • नवरात्रि पर शुभ योग वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर 30 वर्षों बाद बहुत ही शुभ योग बनने जा रहा है। दरअसल 30 सालों बाद चैत्र नवरात्रि पर अमृत सिद्धि योग, शश योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बनेगा
घट स्थापना मूहूर्त शुभ मुहूर्त सुबह 9 बज कर 12 मिनट से 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घटस्थापना की जा सकती है।
घटस्थापना के लिए सर्वोत्तम मूहूर्त- •अभिजीत मुहूर्त आरंभ 11 बजकर 57 मिनट से 12बजकर 48 मिनट तक रहेगा। सबसे उत्तम मुहूर्त कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त ही है।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का है अत्यधिक महत्व सनातन नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को है। इस अवसर पर नववर्ष का स्वागत केवल मानव ही नहीं पूरी प्रकृति कर रही होती है। ऋतुराज वसंत प्रकृति को को अपने आगोश में ले चुके होते हैं, पेड़ों की टहनियां नई पत्तियों के साथ इठला रही होती हैं, पौधे फूलों से लदे इतरा रहे होते हैं। खेत सरसों के पीले फूलों की चादर से ढंके होते हैं। किसलयों का प्रस्फुटन, नवचैतन्य, नवोत्थान, नवजीवन का प्रारंभ मधुमास के रूप में प्रकृति नया श्रृंगार करती है। कोयल की कूक वातावरण में अमृत घोल रही होती है। मानो दुल्हन सी सजी धरती पर कोयल की मधुर वाणी शहनाई सा रस घोलकर नवरात्रि में मां के धरती पर आगमन की प्रतीक्षा कर रही हो।
इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया थाचैत्र मासि जगत ब्रह्मा संसर्ज प्रथमेऽहनि, शुक्ल पक्षे समग्रेतु तदा सूर्योदय सति।।
ब्रह्म पुराण के इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना का कार्य ब्रह्मा जी को सौंपा था। मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी, उस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि थी। साथ ही इसी तिथि पर धार्मिक कार्य करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि इसी तिथि से चैत्र नवरात्र की भी शुरुआत होती है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर आदि शक्ति प्रकट हुई थी।
हिंदू नववर्ष पूरी तरह से वैज्ञानिक, शाश्वत और तथ्यों पर आधारित है। आज की तिथि का शास्त्रों में विशेष महत्व है। इसी तिथि से ब्रह्मा ने सृष्टि का प्रारम्भ किया था। ब्रह्म पुराण में वर्णन है ‘चैत्र महीने के पहले दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। सफेद पक्ष पर, संपूर्ण हमेशा सूर्योदय के समय होना चाहिए। अर्थात् ब्रह्मा ने चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय पर सृष्टि की रचना की। इस शुक्ल प्रतिपदा को सुदी भी कहा जाता है। आज से नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि या वसंत नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसमें शक्ति की आराधना के लिए सनातन समाज भक्ति में लीन है।
पंडित ब्रज मोहन पुरोहित: 9983826856