।।श्रीहरि:।।
हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको भूलूँ नहीं !! ” एक भगवान् में लग जाओ तो दुनियाका इससे बड़ा कोई उपकार नहीं है !”-श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज
दिनांक : 12.04.2024, वार : शुक्रवार, सूर्योदय : प्रात: 06:16बजे, सूर्यास्त : सांय 06:59 बजे, चन्द्रोदय : सांय 08:36 बजे, हिन्दु मास : चैत्र, पक्ष :- शुक्ला, तिथि :- चतुर्थी, विक्रम सम्वत : 2081, शक सम्वत :- 1946, सम्वत नाम : पिंगल, ऋतु :- बसंत, नक्षत्र – रोहिणी 12:49 रात्रितक
सूर्य राशि – मीन, चंद्र राशि – वृषभ, दिशा शूल : पश्चिम
गणगौर मेला अभिजित मुहूर्त :- 12:12 – 13:03 शुभ
चोघडिया दिन: चर 06:16 – 07:51शुभ, लाभ07:51 – 09:27 शुभ, अमृत 09:27 – 11:02 शुभ, काल 11:02 – 12:38 अशुभ, शुभ12:38 – 14:13 शुभ, रोग 14:13 – 15:48 अशुभ, उद्वेग 15:48 – 17:24 अशुभ, चर 17:24 – 18:59 शुभ।
चोघडिया रात: रोग 18:59 – 20:24 अशुभ, काल 20:24 – 21:48 अशुभ, लाभ 21:48 – 23:13 शुभ, उद्वेग 23:13 – 24:37 अशुभ, शुभ 24:37 – 26:02 शुभ, अमृत 26:02 – 27:26 शुभ, चर 27:26 – 28:51 शुभ, रोग 28:51 – 30:15 अशुभ।
नवरात्रि चतुर्थ दिन होंगी माँ कूष्माण्डा की पूजा
लघु कथा: नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और अचंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन शेर है। पंडित ब्रज मोहन पुरोहित, नृसिंह भैरव आश्रम देविकुण्ड सागर, बीकानेर