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आज श्रीपंचमी, शोभन योग, नवरात्रि पंचम दिन माँ स्कन्दमाता पूजन…

।।श्रीहरि:।।, हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको भूलूँ नहीं !!

जितना-जितना अपना अभिमान रहता है, उतने-उतने हम भगवान् से दूर होते हैं। – श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज।

दिनांक: 13.04.2024, वार: शनिवार, सूर्योदय: प्रात: 06:15 बजे, सूर्यास्त: सांय 06:59बजे, चन्द्रोदय : सांय 09:29 बजे, हिन्दु मास : चैत्र, पक्ष :- शुक्ला, तिथि :- पंचमी, विक्रम सम्वत : 2081, शक सम्वत :- 1946, सम्वत नाम: पिंगल, ऋतु :- बसंत- ग्रीष्म, नक्षत्र – वृषभ 12:43 दोपहर तक फिर मृगशिरा।

सूर्य राशि – मीन, चंद्र राशि – मिथुन, दिशा शूल- पूर्व दिशा।

अभिजित मुहूर्त: 12:12 – 13:03 शुभ, राहु काल: सुबह 09:10 से सुबह 10:46 बजे तक।

चोघडिया दिन: काल 06:15 – 07:51अशुभ, शुभ 07:51 – 09:26 शुभ, रोग 09:26 – 11:02 अशुभ, उद्वेग 11:02 – 12:37 अशुभ, चर 12:37 – 14:13 शुभ, लाभ 14:13 – 15:49 शुभ, अमृत 15:49 – 17:24 शुभ, काल 17:24 – 18:59 अशुभ।

चोघडिया रात: लाभ 18:59 – 20:24 शुभ, उद्वेग 20:24 – 21:48 अशुभ, शुभ 21:48 – 23:13 शुभ, अमृत 23:13 – 24:37 शुभ, चर 24:37 – 26:01 शुभ, रोग 26:01 – 27:25 अशुभ, काल 27:25 – 28:50 अशुभ, लाभ 28:50 – 30:14 शुभ।

नवरात्रि पंचम दिन होंगी माँ स्कन्दमाता की पूजा।

लघु कथा: नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैंभगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। – पंडित ब्रज मोहन पुरोहित, नृसिंह भैरव आश्रमदेवीकुण्ड सागर, बीकानेर

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