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आज सर्वार्थसिद्धयोग, रामनवमी, नवरात्रि नवमें दिन होगी माँ सिद्धिदात्री की पूजा…

।।श्रीहरि:।। हे नाथ ! हे मेरे नाथ !! मैं आपको भूलूँ नहीं !!

भगवान् को याद नहीं करे, दूसरोंकी सेवा नहीं करे तो मनुष्यतामें कमी है। -श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज

दिनांक : 17.04.2024वार : बुधवार सूर्योदय : प्रात: 06:11 बजेसूर्यास्त : सांय 07:02 बजे चन्द्रोदय : 01:21 बजे हिन्दु मास : चैत्रपक्ष :- शुक्ला तिथि :- नवमी विक्रम सम्वत : 2081शक सम्वत :- 1946सम्वत नाम : पिंगल ऋतु :- बसंत- ग्रीष्म नक्षत्र – आश्लेषा (गंड़मूल)योग – सर्वार्थसिद्ध योग

सूर्य राशि – मेष चंद्र राशि – कर्क दिशा शूल : उत्तर दिशा राहु काल :- दोपहर 12:36 से दोपहर 01:13 बजे तक

त्यौहार और व्रत स्वामीनारायण जयंती श्री महातारा जयंती राम नवमी

चोघडिया दिन: लाभ 06:11 – 07:47 शुभअमृत 07:47 – 09:24 शुभकाल 09:24 – 11:00 अशुभशुभ 11:00 – 12:36 शुभरोग 12:36 – 14:13 अशुभउद्वेग 14:13 – 15:49 अशुभचर 15:49 – 17:26 शुभलाभ 17:26 – 19:02 शुभ

चोघडिया रात: उद्वेग 19:02 – 20:26 अशुभशुभ 20:26 – 21:49 शुभअमृत 21:49 – 23:12 शुभचर 23:12 – 24:36* शुभरोग 24:36* – 25:59* अशुभकाल 25:59* – 27:23* अशुभलाभ 27:23* – 28:46* शुभउद्वेग 28:46* – 30:10* अशुभ

नवरात्रि के नवमे दिन होंगी माँ सिद्धिदात्री की पूजा

विशेष महत्व :-माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।

लघु कथा- सिद्धिदात्री देवी पार्वती का मूल रूप या आदि रूप है । उनके पास आठ अलौकिक शक्तियां या सिद्धियां हैं, जिन्हें अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्ब्य, ईशित्व और वशित्व कहा जाता है। अणिमा का अर्थ है किसी के शरीर को एक परमाणु के आकार में छोटा करना; महिमा का अर्थ है किसी के शरीर को अनंत रूप से बड़े आकार में विस्तारित करना गरिमा का अर्थ है असीम रूप से भारी हो जाना; लघिमा का अर्थ है भारहीन हो जाना; प्राप्ति का अर्थ है सर्वव्यापी होना प्राकाम्ब्य जो कुछ भी चाहता है उसे प्राप्त करना ईशित्व का अर्थ है पूर्ण आधिपत्य रखना और वशित्व का अर्थ है सभी को वश में करने की शक्ति होना। भगवान शिव को सिद्धिदात्री से आठों शक्तियां प्राप्त थीं। -पंडित ब्रज मोहन पुरोहित नृसिंह भैरव आश्रम देवीकुण्ड सागर, बीकानेर

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