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राजस्थान सरकार प्रदेश के हर गांव में बेघर और घुमंतू परिवारों को 300 वर्ग गज तक के प्लॉट देगी। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। प्रदेश में लाखों की तादाद में ऐसे घुमंतू खानाबदोश लोग हैं। इनके पास खुद के घर नहीं हैं। ऐसे बेघर परिवारों को सरकार ग्राम सभाओं में पट्टे देगी। प्रदेश में 11341 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें 44981 गांव आते हैं। इनमें एक साथ पट्टे बांटने का अभियान चलेगा। इसके लिए जारी सर्कुलर के अनुसार, सरकार ने बेघर, आवासहीन लोगों को एक अभियान चलाकर प्लॉट और पट्टा देने का फैसला किया है। सभी कामों का टाइम टेबल भी भेजा गया है कि कब तक क्या-क्या काम निपटाना है। आज से महज 45 दिन बाद बड़े स्तर पर अभियान के तहत 2 अक्टूबर को एक साथ पट्टे दिए जाने हैं।
यह स्कीम केवल बेघर, घुमंतू और खानाबदोश परिवारों के लिए ही लाई जा रही है। ऐसे परिवार जो गांवों में झुग्गी, झोपड़ियों में रहते हैं, उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य के पास आवासीय भूखंड नहीं है। ऐसे परिवारों को इस स्कीम में शामिल किया जाएगा। सरकार ने हर जिला परिषद से इसका ब्योरा तैयार करवाया जा रहा है। इन परिवारों के आधार कार्ड नंबर भी मांगे हैं। जिन परिवारों को प्लॉट दिए जाएंगे, उसके मुखिया के आधार नंबर दर्ज किए जाएंगे।
1996 के नियम-158 के तहत अधिकतम 300 वर्गगज तक के प्लॉट आवंटित किए जाएंगे। प्लॉट का साइज घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है। जमीनों का आवंटन रियायती दर (टोकन मनी) पर किया जाएगा। हालांकि अभी तक रियायती दरों का निर्धारण नहीं किया गया है।
पंचायतीराज विभाग ने 29 अगस्त तक हर गांव में आबादी जमीन चिह्नित करवाकर पूरी तैयारी रखने के निर्देश दिए हैं। इस काम को विकास अधिकारी की देखरेख में किया जाएगा। जिन गांवों में आबादी की जमीन आवंटित करने के लिए नहीं है। वहां दूसरी जमीन की व्यवस्था करने के प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजकर जमीन को आबादी में कन्वर्ट करवाने के आदेश दिए हैं। पंचायतीराज विभाग ने हर गांव में 5 सितंबर तक बेघर परिवारों से आवेदन लेने की डेडलाइन तय की है। 7 सितंबर तक हर गांव से मिले आवेदनों का ब्योरा पंचायतीराज विभाग को भेजना होगा।