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RASHTRA DEEP । राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले अब भाजपा आलाकमान का पूरा फोकस राजस्थान में चल रही खींचतान को खत्म करने पर है। सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष, राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर नियुक्ति इसी रणनीति का हिस्सा था।
लेकिन अब भी भाजपा हाईकमान के लिए एक और बड़ी चुनौती हैं- पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे । केंद्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे को नई जिम्मेदारी देना चाहता है ताकि गुटों में बंटी भाजपा को एकजुट किया जा सके। इसको लेकर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कोशिशें शुरू कर दी हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुवे केंद्रीय नेतृत्व 2023 में राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की कोई गलती नही करना चाहते हैं, 2023 के विधानसभा के चुनाव का परिणाम का असर लोकसभा में ना पड़े, लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुवे भाजपा का पूरा ध्यान विधानसभा चुनाव पर हैं, चुनाव से पहले राजस्थान में कई बड़े भाजपा नेताओं की वापसी हो सकती हैं,
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राजस्थान में नाराज चल रहे भाजपा नेताओं की वापसी जल्द ही देखने को मिल सकती हैं, सभी अपने अपने स्तर पर जयपुर और दिल्ली में वापसी में लगे हुवे हैं,
राजस्थान में जिस तरीके से अशोक गहलोत बजट पेश किया है पूरे राजस्थान में गहलोत सरकार को लग रहा है कि 2023 में फिर से कांग्रेस वापसी करेगी और अशोक गहलोत भी सरकार वापसी के इरादे में है, जिस तरीके से राजस्थान में 19 जिले बढ़ाए गए हैं तीन नए संभाग बनाए गए हैं 10 नए जिले बनाने की संभावना है, सरकारी कर्मचारियों को खुश करने के लिए पेंशन स्कीम प्रत्येक घर में पहुंचने के लिए बिजली बिल में छूट उज्जवला गैस कनेक्शन में ₹500 की सब्सिडी किसानों को खेतों में 2019 तक बिजली माफ, आगे सभी महिलाओं को मोबाइल फोन गिफ्ट करने का गहलोत सरकार ने वादा किया है उसका आगामी चुनाव में मतदाताओं में निश्चित रूप से गहलोत सरकार राजस्थान में फुल सरकार बनाने की कोशिश में है।
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पार्टी हाईकमान इस बात को लेकर आशंकित है कि वसुंधरा राजे को साधे बिना चुनाव में राह आसान नहीं होगी। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि वसुंधरा के प्रभाव को देखते हुए उन्हें इलेक्शन कैंपेनिंग कमेटी में अध्यक्ष का महत्वपूर्ण पद देकर भाजपा चुनाव में उतर सकती है। पार्टी के एक सीनियर नेता का कहना है कि आने वाले 10-15 दिन में वसुंधरा राजे को लेकर पार्टी फैसला कर लेगी।
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संसद सत्र की समाप्ति के बाद उनकी केंद्रीय नेतृत्व के साथ मीटिंग हो सकती है। हाईकमान चाहता है कि वसुंधरा का सम्मान बना रहे और चुनाव में उन्हें पूरी तरह से सक्रिय रखा जाएगा। इसके अलावा राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की भूमिका भी तय की जाएगी। माना जा रहा है कि एसटी वर्ग को साधने के लिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में पद मिल सकता है।