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राजस्थान की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसको लेकर चुनाव आयोग ने घोषणा नहीं की है, लेकिन दलों में टिकट को लेकर जोर-आजमाइश तेज हो गई है। राजस्थान कांग्रेस में कई नेता अपने खास की पैरवी में लगे हुए हैं। वहीं, कुछ अपने परिवार में ही टिकट दिए जाने की कोशिश हैं। पार्टी के अंदर चर्चा है कि 6 में से 2 सीटों पर उपचुनाव में परिवारवाद की झलक दिख सकती है। विधायक से सांसद बने दो नेता अपने परिवार में ही टिकट दिलाने को लेकर कोशिश में हैं। पर अभी खुलकर कोई नहीं बोल रहा है। उधर, हाड़ौती क्षेत्र से सांसद का चुनाव हार चुके नेता भी टोंक जिले की खाली सीट पर चुनाव लडने की भागदौड़ में कमी नहीं छोड़ रहे। वहीं, दौसा सीट पर विधानसभा चुनाव हार चुके एक नेता की भी बराबर चुनाव लडने की कोशिश में है।
टिकटों को लेकर भी पार्टी में जोर आजमाइश शुरू हो गई है। शेखावाटी क्षेत्र और पूर्वी राजस्थान की सीट पर परिवारवाद ले अलावा दूसरे नेता भी लगे हुए हैं। टिकट के लिए नेताओं ने पीसीसी मुख्यालय से लेकर दिल्ली तक भागदौड़ शुरू कर दी है।
वही अगर गठबंधन की बात करें तो स्थिति साफ नहीं है। एक-दो नेताओं को छोड़ कांग्रेस का कोई भी नेता सहयोगी दलों से उपचुनाव में गठबंधन करने का इच्छुक नहीं है। आलाकमान मैं भी अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। ओर साथ दिल्ली तक गठबंधन नहीं करने की बात जरूर पहुंची है, खासकर आदिवासी पार्टी से गठबंधन कांग्रेस को ही भारी नुकसान है। क्योंकि पार्टी अगर गठबंधन करती है तो उन क्षेत्रों अपनी पकड़ को सकती है।