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केजरीवाल और बेनीवाल की मुलाकात के क्या मायने, हनुमान देंगे तीन संजीवनी…?

राजस्थान में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से कुछ ही महीनों पहले अगर दो अलग-अलग पार्टी के नेता आपस में भेंट मुलाकात करें तो इसके कई सियासी मायने निकाले जाने लगते हैं। कुछ ऐसी ही तस्वीर आज राजधानी दिल्ली में देखने को मिली। AAP के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) चीफ हनुमान बेनीवाल ने आज एक-दूसरे से मुलाकात की।

दरअसल, RLP चीफ हनुमान बेनीवाल राजस्थान के एक प्रभावशाली नेता हैं। हनुमान राजस्थान के नागौर से सांसद हैं। बुधवार को हनुमान की बेटी दिया का जन्मदिन था। इस मौके पर हनुमान ने सीएम केजरीवाल और AAP नेता भगवंत मान को अपने घर बुलाया था। हनुमान ने इसकी तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की। राजस्थान में होने जा रहे चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। ऐसे में केजरीवाल और बेनीवाल की मुलाकात को लेकर लोगों के मन में कई तरह सवाल उठ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि बेनीवाल AAP के साथ गठबंधन कर सकते हैं। ऐसे में केजरीवाल को राजस्थान में हनुमान से तीन फायदे हो सकते हैं। आइए समझते हैं…

गठबंधन की चाहत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान में होने जा रहे चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। ऐसे में दिल्ली और पंजाब में सरकार बना चुके केजरीवाल यह चाहते हैं कि राजस्थान में भी AAP की सरकार बने। ऐसे में केजरीवाल अगर RLP के साथ गठबंधन करते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। गठबंधन की चाहत हनुमान बेनीवाल को भी है। केजरीवाल की लोकप्रियता और हनुमान के मजबूत आधार के सहारे राज्य में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। हालांकि AAP और RLP की तरफ से गठबंधन को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

मुस्लिम और जाट वोटर्स साधना है लक्ष्य
राजस्थान में AAP चुनाव जीतने का पूरा प्रयास कर रही है। सूत्रों कहना है कि AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल RLP के हनुमान बेनीवाल से हाथ मिलाकर चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं। गठबंधन करके केजरीवाल का लक्ष्य एक बड़ी आबादी को साधने का है। जाट बाहुल्य सीटों पर हनुमान के पार्टी की स्थिति मजबूत मान जाती है। साथ ही राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में भी हनुमान का खासा प्रभाव माना जाता है। ऐसे में केजरीवाल राज्य के मुस्लिम और जाट वोटरों को साधने का प्लान बना रहे हैं। दोनों नेता अगर साथ चुनाव लड़ते हैं तो इससे भाजपा और कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है।

ताकि 2018 जैसा हाल न हो
साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की पार्टी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा था। चुनाव के नतीजों ने AAP सुप्रीमो को हैरान कर दिया था। चुनाव में AAP को नोटा (NOTA) से भी कम वोट मिले थे। राजस्थान के कुल वोटरों में से 1 फीसदी वोटरों ने भी केजरीवाल पर भरोसा नहीं जताया। वहीं राज्य में हनुमान की पार्टी RLP को लगभग ढाई फीसदी वोट मिले थे। विधानसभा में RLP के तीन विधायक हैं। वहीं हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद हैं। राजस्थान के जिला परिषद और पंचायती राज्य चुनावों में भी RLP ने शानदार प्रदर्शन किया। ऐसे में RLP के साथ हाथ मिलाने राजस्थान के बाद में AAP की स्थिति मजबूत हो सकती है। अब य ऐप पर पढ़ें दिलचस्प होगा कि क्या दोनों दल के नेता एक साथ चुनाव लड़ते हैं।

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