





RASHTRA DEEP। राजस्थान में जाट मुख्यमंत्री की मांग जोर पकड़ने लगी है। राजस्थान में कांग्रेस के जाट नेताओं ने विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले किसी जाट नेता को सीएम बनाने को लेकर सक्रियता बढ़ाई है। अगले कुछ दिनों में जाट नेता पार्टी आलाकमान से मुलाकात का समय मांग सकते हैं।
राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के पूर्व नेता और राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा, जाट सीएम बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जलसंख्या के लिहाज से जाट समाज बड़ा है। राजनीतिक तौर पर यह समाज सक्रिय भी है। कई सालों से यह समाज जाट मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा है। अब समय आ गया कि चुनाव से पहले प्रदेश में किसी जाट नेता को सीएम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जाट समाज अपना हक और अधिकार लेकर रहेगा। उन्होंने कहा कि जाट समाज अपना हक और अधिकार लेना जानता है।
जातिगत जनगणना की मांग, डूडी जयपुर में मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर लगातार हम इस मांग को उठाते रहे हैं। जातिगत जनगणना की मांग करते हुए डूडी ने कहा कि जाट समाज अपने अधिकार से कब तक दूर रहेगा। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जातिगत जनगणना से पता लग जाएगा कौन कितने पानी में हैं। अब जिसकी जितनी संख्या वह अपना हक मांग रहा है। इस मुददे पर डूडी ने पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस के जाट विधायकों एवं नेताओं के साथ बैठक भी की है। हरीश चौधरी पहले ही जातिगत जनगणना की मांग कर चुके हैं।
मांग के पीछे आंतरिक राजनीति को लेकर कयास, विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले जाट सीएम का मुददा उठाए जाने को प्रदेश में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। डूडी पहले सचिन पायलट के साथ थे, लेकिन अब दोनों के बीच दूरियां बढ़ चुकी हैं। डूडी अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीक जा चुके हैं। पायलट खेमा लगातार सीएम की कुर्सी पर दावेदारी जता रहा है। ऐसे में पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यह संभव है कि पायलट को रोकने के लिए जाट सीएम की मांग उठाई जा रही हो।
गहलोत खेमे के लिए पायलट को रोकने के लिए जाट सीएम की मांग को एक काउंटर रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। गहलोत खेमे की रणनीति हो सकती है कि जाट सीएम की मांग उठने से किसी नये विवाद से बचने के लिए पायलट सीएम बदले जाने को लेकर आलाकमान विचार ही नहीं करेगा। साथ ही पायलट के साथ जो दो से तीन जाट विधायक हैं वे भी जाट सीएम के मुददे पर उनसे दूर हो सकते हैं। मौजूदा राजनीतिक हालात के हिसाब से यह मांग गहलोत खेमे के लिए सियासी रूप से फायदेमंद है। आगे चलकर यही मांग और तेज होती है तो सियासी समीकरण बदल भी सकते हैं।