राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार को तमिलनाडु के कुड्डालोर सहित तीन शहरों में रूट मार्च निकाला। वहीं, दूसरी ओर, सत्तारूढ़ द्रमुक की सहयोगी विदुथलाई चिरुथैगल काची (वीसीके) ने दक्षिणपंथी संगठन का विरोध करने के लिए ‘मनुस्मृति’ की प्रतियां वितरित कीं।
कुड्डालोर, कल्लाकुरिची और पेरम्बलुर में कड़ी पुलिस सुरक्षा के आरएसएस के स्वयंसेवकों ने सफेट शर्ट और खाकी पैंट की पूरी वर्दी में मार्च में हिस्सा लिया।
वहीं, आरएसएस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रूट मार्च संत वल्लार (1823-1874) के 200वें जन्म वर्ष, महात्मा गांधी के 153वें जन्म वर्ष और आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में निकाला गया। मार्च के बाद जनसभाएं की गईं।

वीसीके के संस्थापक-अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने यहां मनुस्मृति की पुस्तिकाएं वितरित कीं और कहा कि उनकी पार्टी ने पूरे तमिलनाडु में अध्यायों के चुनिंदा अंशों की लगभग एक लाख प्रतियां वितरित की हैं। यह कदम आरएसएस और उसकी विचारधारा का विरोध करने के लिए है।
आरएसएस ने तमिलनाडु के अन्य स्थानों पर होने वाले रूट मार्च और संबंधित कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है। शनिवार पांच नवंबर को संगठन ने कहा कि वह मद्रास हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच के आदेश के खिलाफ अपील करेगा, जिसमें 44 शहरों/कस्बों में आयोजनों की अनुमति शर्तों के साथ दी गई थी। आरएसएस ने पचास स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अदालत की मंजूरी मांगी थी।