🟡 France Protest 2025
नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद अब फ्रांस की सड़कों पर भी गुस्से का लावा फूट पड़ा है। बजट में भारी कटौती और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ नाराजगी को लेकर बुधवार को 1 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर उतर आए। कई जगह प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए 80 हजार जवानों की तैनाती की है। अब तक देशभर में 200 से ज्यादा उपद्रवियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

फ्रांस की राजनीति में बजट बना तनाव का कारण
फ्रांस में बजट हमेशा विवाद का कारण रहा है। हर साल यह तय करता है कि सरकार किन क्षेत्रों में खर्च बढ़ाएगी और किन योजनाओं में कटौती होगी। यही वजह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव लगातार बढ़ता रहा है। पिछले साल 2025 में प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर का बजट संसद में भारी बहस और विवाद का शिकार हुआ। वामपंथी दलों ने आरोप लगाया कि यह गरीबों और आम जनता के खिलाफ है, क्योंकि सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती की गई। दूसरी ओर दक्षिणपंथी दलों का कहना था कि टैक्स और वित्तीय नीतियां उनके हितों पर चोट करती हैं। आम तौर पर धुर विरोधी ये दोनों खेमे सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए और संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाकर बार्नियर सरकार को गिरा दिया।

बायरू का 2026 का बजट फ्रेमवर्क और विवाद
दिसंबर 2025 में नई सरकार बनी, जिसके बाद फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री बायरू ने जुलाई में 2026 के लिए बजट फ्रेमवर्क पेश किया। इसमें 44 अरब यूरो (करीब 4 लाख करोड़ रुपए) की बचत योजना शामिल थी।बायरू ने तर्क दिया कि फ्रांस का कर्ज GDP का 113% तक पहुंच चुका है और खर्चों को तुरंत कम करना जरूरी है। लेकिन मजदूर यूनियनों और वामपंथी दलों ने इसे आम जनता पर सीधा बोझ बताते हुए विरोध तेज कर दिया।

बायरू का बजट संसद में विश्वास मत में गिर गया, जिससे उनकी सरकार भी धराशायी हो गई। इसके बाद राष्ट्रपति मैक्रों को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ा।अब हालात यह हैं कि सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी खुलेआम कह रहे हैं कि समस्या सिर्फ बजट की नहीं बल्कि मैक्रों की नीतियों और उनके काम करने के तरीके की है। मजदूर यूनियन CGT ने चेतावनी दी है कि जब तक मैक्रों इस्तीफा नहीं देते, तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।