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राजस्थान में दूसरे चरण के बाद इन 12 सीटों पर कंठस मुकाबला…

RASHTRADEEP NEWS

राजस्थान में दूसरे चरण का मतदान शुक्रवार को संपन्न हो गया साथ ही राज्य की सभी 25 सीटों पर चुनाव भी संपन्न हो गए हैं। इसके साथ ही चुनाव में उतरे 7 विधायक और 10 सांसदों के भाग्य का फैसला मतपेटी में बंद हो गया है। इनमें 4 केन्द्रीय मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष सहित कुल 266 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 25 में से 2 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला और 23 पर सीधी टक्कर हैं, इनमें से 12 सीटों पर कांटे की टक्कर है। पहले चरण में मतदान में कमी से जहां भाजपा खेमे में मायूसी थी और कांग्रेस उत्साहित, वहीं दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत अच्छा होने से भाजपा खेमे में जोश देखा गया। अब दोनों ही दलों के नेता चुनाव परिणाम को लेकर आकलन में जुट गए हैं। भाजपा हेट्रिक के फेर में तो कांग्रेस को उम्मीद प्रदेश में टूटेगा हार का क्रम।

कांग्रेस ने तीन सीटें सीकर, बांसवाड़ा और नागौर गठबंधन को दी। बांसवाड़ा में गठबंधन में देरी हुई तो कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन वापस नहीं लेकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया।

बाड़मेर सीट की चर्चा भी देश भर में हुई। यहां कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी के अलावा युवा निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा बाड़मेर सीट की रही। भाजपा को कंगना रनौत को भी चुनाव प्रचार के लिए बुलाना पड़ा। भाजपा में स्टार प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सीएम भजनलाल शर्मा ने सबसे ज्यादा सभाएं की, वहीं कांग्रेस की तरफ से पहले चरण में तो मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी ने सभाएं की, लेकिन दूसरे चरण में कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं आया।

प्रदेश की दो सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्र चुनाव मैदान में हैं। झालावाड़-बारां से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह और जालोर-सिरोही से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं।

कोटा से भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं। वहीं, जोधपुर से भाजपा प्रत्याशी गजेन्द्र सिंह शेखावत, अलवर से प्रत्याशी भूपेन्द्र यादव, बीकानेर से प्रत्याशी अर्जुन राम मेघवाल और बाड़मेर से भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी केन्द्र में मंत्री हैं। केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव का राज्यसभा सांसद के रूप में कार्यकाल इसी माह खत्म हुआ है।

भाजपा ने किसी भी विधायक को लोकसभा का चुनाव नहीं लड़वाया, जबकि कांग्रेस ने 4 विधायकों को टिकट दिया। कांग्रेस विधायक हरीश मीना टोंक-सवाईमाधोपुर, ललित यादव अलवर, मुरारीलाल मीना दौसा, बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, बीएपी विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा, आरएलपी विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर और निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी बाड़मेर से निर्दलीय ही चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा-कांग्रेस की 8 महिलाएं मुकाबले में फंसी हैं। भाजपा ने 5 तो कांग्रेस ने 3 सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारी हैं। भाजपा ने श्रीगंगानगर, जयपुर, करौली-धौलपुर, नागौर और राजसमंद तो कांग्रेस ने भरतपुर, पाली, झालावाड़ से महिला प्रत्याशी को चुनाव में उतारा है।

चुनाव में तीन दल-बदलू नेता भी काफी चर्चा में रहे। चूरू से सांसद राहुल कस्वां भाजपा छोड़ कांग्रेस में गए, बाड़मेर सीट पर आरएलपी छोड़ कांग्रेस में आए उम्मेदाराम और बांसवाड़ा में कांग्रेस से विधायकी छोड़ भाजपा में आए महेन्द्रजीत सिंह मालवीया शामिल हैं। तीनों ही नेताओं ने दल बदले और टिकट मिलने के बाद अंतिम समय तक इनकी सीट कांटे के मुकाबले में फंसी रही।

उदयपुर लोकसभा सीट पर ब्यूरोक्रेट्स को टिकट दिया। भाजपा-कांग्रेस के दोनों ही प्रत्याशियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृति ली और चुनाव लड़ा। भाजपा ने परिवहन विभाग में कार्यरत मन्नालाल रावत को तो कांग्रेस ने आईएएस रहे ताराचंद मीना को टिकट दिया है।

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