वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP ग्रोथ रेट के 6.5% होने का अनुमान लगाया है। यह पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी। वहीं नॉमिनल GDP का अनुमान 11% लगाया गया है। FY23 के लिए रियल GDP अनुमान 7% है।
सर्वे में कहा गया है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सर्वे के अनुसार, PPP (पर्चेजिंग पावर पैरिटी) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सर्वे में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुमान, महंगाई दर अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटे की जानकारी शामिल होती हैं।
इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है? हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। हमारे यहां ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है। इस डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? बचत कितनी करनी है? हमारी हालत कैसी रहेगी?
ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।
दो वॉल्यूम में आता था इकोनॉमिक सर्वे
पहले इकोनॉमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में पेश किया जाता था। 2014-15 से इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा। पार्ट A में पिछले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा परफॉर्म किया इसकी जानकारी होती है। पार्ट B में गरीबी, सामाजिक सुरक्षा, ह्यूमन डेवलपमेंट, हेल्थ केयर और एजुकेशन, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण और शहरी विकास जैसे इश्यू होते हैं।
हालांकि 2021-22 का इकोनॉमिक सर्वे दो-वॉल्यूम फॉर्मेट से सिंगल वॉल्यूम प्लस स्टेटिकल टेबल के लिए एक अलग वॉल्यूम में शिफ्ट हो गया था। प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने इसे पेश करते हुए कहा था कि दो-वॉल्यूम वाले फॉर्मेट में नए विचारों और विषयों को लाने की जगह है, लेकिन लगभग 900 पेज में यह बोझिल भी होता जा रहा है।
इकोनॉमिक सर्वे कौन तैयार करता है?
वित्त मंत्रालय के अंडर एक डिपार्टमेंट है इकोनॉमिक अफेयर्स। इसके अंडर एक इकोनॉमिक डिवीजन है। यही इकोनॉमिक डिवीजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है। इस वक्त CEA डॉ. वी अनंत नागेश्वरन हैं।
इकोनॉमिक सर्वे क्यों जरूरी होता है?
ये कई मायनों में जरूरी होता है। इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन की तरह काम करता है, क्योंकि इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है।
क्या सरकार के लिए इसे पेश करना जरूरी है? सरकार सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों या सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अगर सरकार चाहे तो इसमें दिए सारे सुझावों को खारिज कर सकती है। फिर भी इसकी अहमियत है क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है।