
बीकानेर। पूगल रोड स्थित माखन भोग भवन परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सोमवार को श्रीकृष्ण भगवान के जयकारों के साथ पूर्णाहूति हुई। कथावाचक संत सुखदेव जी महाराज ने सुदामा चरित्र के बारे में बताया कि मित्रता करो तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसा। सच्चा मित्र वहीं है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है तब तक मित्रता रहती है। उन्होंने बताया कि सुदामा चरित्र हमें जीवन में आई कठिनाईयों का सामना करने की सीख देता है। सुदामा ने भगवान के पास होते हुए अपने लिए कुछ नहीं मांगा। अर्थात निस्वार्थ समर्पण ही असली मित्रता है। कथा के बीच-बीच में भजनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य भी किया। इस दौरान कृष्ण-सुदामा की सजीव झांकी सजाई गई। कथा के दौरान सुदामा चरित्र के वर्णन को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। कथावाचक संत सुखदेव जी महाराज का जन्मदिवस होने पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने धूमधाम से मनाया। इस दौरान जुगल किशोर लड्ढ़ा, देवकिशन चांडक, रामदेव अग्रवाल, द्वारकाप्रसाद राठी, राधेश्याम महाराज, घनश्याम रामावत, गजानंद रामावत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

