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राजस्थान सरकार ने प्रदेशवासियों को बड़ी राहत देते हुए ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब पेयजल दरों में बढ़ोतरी का बोझ आम जनता पर नहीं डाला जाएगा। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल के अनुसार, राज्य सरकार हर साल लगभग 2100 करोड़ रुपये की लागत खुद वहन करेगी, ताकि लोगों को पुराने दरों पर ही पानी की सुविधा मिलती रहे।
2017 से अब तक नहीं बढ़े दर, सरकार ने फिर दिखाया जनहित का रास्ता
पिछले आठ वर्षों में पेयजल संरचना और रखरखाव की लागत चार से पांच गुना तक बढ़ चुकी है, बावजूद इसके सरकार ने पानी की दरें नहीं बढ़ाईं। वर्ष 2015 में तय किया गया था कि हर साल 10% की दर से दरें बढ़ेंगी, लेकिन 2017 के बाद एक बार भी ये वृद्धि लागू नहीं की गई।
चार गुना बढ़ी लागत, फिर भी जनता पर नहीं पड़ेगा असर
वित्त विभाग की सहमति से दरों को यथार्थ लागत के आधार पर तर्कसंगत बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन राज्य सरकार ने जनता की जेब पर असर ना पड़े, इसका पूरा ख्याल रखा। सरकार ने यह तय किया है कि उपभोक्ताओं से पानी के बिल पुराने दरों पर ही लिए जाएंगे, बाकी लागत का भार सरकार खुद उठाएगी।
जनकल्याण को प्राथमिकता, जलदाय विभाग की बड़ी पहल
जलदाय मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य हर नागरिक को स्वच्छ और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। इस फैसले से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार जनकल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और जनता पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं डालेगी।