RASHTRA DEEP NEWS
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जारी हुई कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणीकी सूची में जिले के सभी नेताओं को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। इस कार्यकारिणी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, केबिनेट मंत्री गोविन्दराम मेघवाल और पूर्व गृह राज्य मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल सहित कई बड़े नेताओं के करीबियों के नाम इसमें शामिल किए गए हैं। ताकि विधानसभा चुनावों के समय पार्टी में किसी प्रकार की टूट ना हो, पर इसके बावजूद भी कहीं ना कहीं कुछ पक्ष असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
देहात इकाई पर कब्जा जमाने के लिए पार्टी के तीन बड़े नेता काफी समय से लॉबिंग में लगे हुए थे। इसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी हैं तो दूसरी तरफ पूर्व गृह राज्य मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल और तीसरे कैबिनेट मंत्री गोविन्दराम मेघवाल ।
इस मामले में जीत तो डूडी के हाथ लगी क्योंकि उनके कैंप से आने वाले बिशनाराम सियाग को देहात अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि, इसके बावजूद भी सियासी समीकरण बैठाते हुए वीरेंद्र बेनीवाल को नाराज नहीं किया गया है। उनके कैंप से भी पार्टी की देहात इकाई में कई महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं।इतना ही नहीं स्वयं बेनीवाल को भी पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है।
उधर, कैबिनेट मंत्री और दलित नेता गोविन्दराम मेघवाल की बात को भी इस कार्यकारिणी में पूरी जगह मिली । रामनिवास कूकणा व मकबूल बलोच को प्रदेश सचिव बनाने में मेघवाल की अहम भूमिका रही ।
बीकानेर देहात से बिशनाराम सियाग को मिला अध्यक्ष पद
पार्टी ने देहात अध्यक्ष के रूप में बिशनाराम सियाग को अवसर दिया, जो पहले से काफी सक्रिय रहे हैं। जसरासर में रामेश्वर डूडी की सभा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में बिशनाराम सियाग का नाम चर्चा में रहा था। इस सभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहुंचे थे। लिहाजा, सियाग को उसका फल दे दिया गया है।
बीकानेर शहर से यशपाल गहलौत पर फिर से जताया पार्टी ने भरोसा
शहर अध्यक्ष पद पर कई नामों को लेकर चर्चा चल रही थी। लेकिन पार्टी ने यशपाल गहलोत पर फिर से भरोसा जताया है। दरअसल, यशपाल को पिछले विधानसभा चुनाव में पहले बीकानेर पूर्व से और फिर पश्चिम से टिकट दिया गया था। लेकिन, दोनों ही विधानसभा से टिकट वापस ले लिए गया था। हालांकि, इसके बाद भी वो पूरे साढ़े चार साल से पार्टी में सक्रिय रहे। इतना ही नहीं किसी राजनीतिक पद पर एडजस्ट करने का वादा भी पूरा नहीं हो सका था। यशपाल को इसी के चलते फिर से पार्टी ने उनके पद पर बरकरार रखा है। दरअसल, पार्टी विधानसभा चुनाव से पहले माली समाज के वोटर्स को नाराज नहीं करना चाहती।
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो बीकानेर शहर अध्यक्ष को लेकर डॉ. बी.डी. कल्ला की नाराजगी जाहिर हो सकती थी, लेकिन उन्होंने भी यशपाल के नाम का विरोध नहीं किया। वे भी विधानसभा चुनाव से पहले किसी को नाराज करने का रिस्क नहीं लेना चाहते।