RASHTRADEEP NEWS
भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन करने से भूमि की कोख तो सूख ही रही है। भविष्य में इसके भयावह परिणाम भूगर्भीय घटनाओं के रूप में भी देखने को मिल सकते हैं। इस खतरे का अलार्म प्रकृति ने सहजरासर गांव की रोही में तीन सप्ताह पहले बजा भी दिया है। गत 15 अप्रेल की रात को अचानक जमीन धंसने से करीब 100 फीट गहरा गड्ढा हो गया। इसके दायरे में पक्की डामर रोड का कुछ हिस्सा भी आ गया, जो जमींदोज हो गया है।सहजरासर की इस घटना के कारणों का खुलासा भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अधिकारियों ने मौका देख कर किया है। इसमें अत्यधिक जलदोहन को भूमि धंसने का कारण माना है। हालांकि अभी भी जितनी जुबान, उतने कयास वाली स्थिति है। गड्ढे की प्रशासन ने तारबंदी करवा कर छोड़ रखी है। पुलिस नियमित निगरानी कर रही है। वहीं सोशल मीडिया पर इसके वीडियो हर रोज नए कयासों के साथ वायरल हो रहे हैं।
जांच में सामने आया तथ्य, गत 24 अप्रेल को झालाना डूंगरी जयपुर से भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग की तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए आई। उसने तीन दिन जांच के बाद प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी। उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्र कुमार ने बताया कि जीसीआई ने जमीन धंसने के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में जल के अत्यधिक दोहन को कारण माना है। जांच रिपोर्ट में बताया है कि बरसात की कमी से भूजल रिचार्ज नहीं हुआ। इससे जमीन खोखली हो गई और मिट्टी नीचे चली गई। जीसीआई ने मौसम विभाग, भूजल विभाग, सैटेलाइट समेत कई तरह के साक्ष्य जुटाए हैं। इसके बाद अपनी जांच में पाया कि भूजल रिचार्ज नहीं होने से तथा नीचे की जमीन ज्यादा सख्त नहीं होने से जमीन धंसी। जीसीआई इसे भौगोलिक घटना मान रहा है।
गांव वालो के अनुसार, कि इस जगह पर तकरीबन सौ साल पहले आकाशीय बिजली गिरी थी। इसी कारण इस जगह को लेकर आम बोच-चाल में लोग बिजल खाड के नाम से पुकारते हैं। ग्रामीणों की मानें, तो इस जगह पिछले कई साल से एक-दो फीट जगह धीरे-धीरे धंसती आ रही है। इस कारण सड़क भी हर साल क्षतिग्रस्त होती रही है।