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बीकानेर के शिक्षकों का सीकर से जयपुर तक पैदल मार्च…

Rajasthan teachers protest 2025

राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रांतीय आह्वान पर बीकानेर जिले के सैकड़ों शिक्षकों ने अपने अधिकारों और शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर सीकर से जयपुर तक पैदल मार्च शुरू कर दिया है। यह ऐतिहासिक मार्च 27 मई को शुरू हुआ, जो आज बावड़ी पहुंच चुका है। करीब 47 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करने के बाद आज शिक्षकों का जत्था यहीं विश्राम करेगा, और कल सुबह राजधानी जयपुर के लिए फिर से रवाना होगा।

बीकानेर जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह भाटी ने बताया-

शिक्षकों की 11 सूत्रीय मांगों में स्थानांतरण नीति लागू करना, समयबद्ध पदोन्नति, PFRDA बिल को रद्द करना, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की समीक्षा, शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखना, और 2007–08 की वेतन विसंगतियों का निपटारा प्रमुख हैं।

भाटी ने कहा, सरकार को ज्ञापन और प्रदर्शन के माध्यम से बार-बार चेतावनी दी गई, लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो मजबूर होकर राजधानी की ओर पैदल कूच करना पड़ा।

प्रदेश मंत्री संजय पुरोहित ने बताया

शिक्षकों की वर्षों से लंबित पदोन्नति तत्काल प्रभाव से की जानी चाहिए। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा बताते हुए इसे निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीति करार दिया और इसे रद्द करने की मांग की।

बीकानेर जिला मंत्री अरुण गोदारा ने बताया

गर्मी और चिलचिलाती धूप के बावजूद शिक्षकों का उत्साह कम नहीं हुआ है। महिला शिक्षक भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, सिर पर सफेद टोपी और हाथों में लाल झंडे लिए, अपने अधिकारों के समर्थन में नारे लगाते हुए आगे बढ़ रही हैं।

इस पैदल मार्च में बीकानेर जिले से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए, जिनमें प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य खुमाणाराम सारण, शिक्षक नेता महेंद्र सिंह पंवार, नगर उपशाखा अध्यक्ष मनीष ठाकुर, देवेंद्र जाखड़, श्याम देवड़ा, रविंद्र विश्नोई, प्रवीण यादव, मांगीलाल सिद्ध, जयदीप कसवां, गोपीराम नैण, दौलतराम ज्याणी (लूणकरणसर), कोलायत अध्यक्ष ताराप्रकाश मोयल, मंत्री विशाल पंवार, हंसराज सामोता, विजय सिंह राजपूत (पूगल) आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

संगठन के मीडिया प्रभारी ने बताया

यह मार्च न केवल शिक्षकों की मांगों को सरकार तक पहुंचाने का माध्यम है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की एक दृढ़ पहल है। शिक्षकों का यह संघर्ष आने वाले दिनों में शिक्षा की दिशा और दशा को नए सिरे से तय करेगा।

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