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बीकानेर: कांग्रेस शासन के बदहाल पांच साल…

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किसान की कर्जमाफी और बेरोजगार नौजवानों को बेरोजगारी भत्ते के नाम पर शासन में आई कांग्रेस सरकार ने पिछले 5 साल में सभी वर्गों के साथ अन्याय किया है। राजस्थान का आम मतदाता अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है। आज की प्रेस वार्ता में हम पिछले 5 साल में बीकानेर जिले में हुई बदहाली की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे।

1. बदहाल कानून व्यवस्था

(1) गैंगवार की घटनाएं बीकानेर जो अपेक्षाकृत शात शहर था पिछले 5 साल में अन्तरराज्य अपराधियों का बड़ा ठिकाना बन गया है। अन्तराष्ट्रीय संबंधों वाले अपराधी न केवल बीकानेर की कानून व्यवस्था को खराब कर रहे हैं वरन आम आदमी का जीना दूभर किये हुये है। शहर के प्रतिष्ठित व्यापारियों से गुंडा टैक्स वसूली की घटना आम हो गई है और ऐसा न करने पर सरेआम फायरिंग की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। सुपारी देकर व्यापारियों को डराना धमकाना शहर का सबब बना चुका है। ऐसे में आमजन भयकांत है।

(2) पिछले 5 साल में बड़ी-बड़ी चोरियों बेरोक-टोक हुई है। बीकानेर पुलिस किसी भी चोरी का न तो बरामद कर पाई न चोरों को ढूंढ पाई। इस पर पुलिस अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं है। जिस धाने इलाके में बड़ी चोरी या लूट की घटना हो जाए और संबंधित थानेदार पर कोई कार्यवाही न होना यह इस बात को दर्शाता है कि पुलिस में जवाबदेही का सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो गया है।

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(3) पिछले 5 साल में महिलाओं के प्रति अपराध में भारी इजाफा हुआ है। कल की नोखा में गैंगरेप की घटना और 2 दिन पहले बीकानेर में एक बच्ची के द्वारा की गई आत्महत्या जैसी घटनाएं किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर देने वाली है, इसके बावजूद पुलिस न तो मुजरिमों को गिरफ्तार कर रही है और न ही इस तरह के अपराध भविष्य में न हो इस पर कोई कार्य योजना बना रही है।

(4) सत्ताधारी दल के नेताओं के संरक्षण में भू-माफिया सरेआम शहर में जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, भू संबंधी अपराधों का इजाफा इस बात को उजागर करता है कि पुलिस अपना मूल कामछोड़कर नेताओं की सरप्रस्ती में जमीनों पर कब्जे करवाने और कब्जे छुड़वाने के काम में जुटी हुई है।

(5) बीकानेर जुए और सट्टे का गढ़ बन गया है चाहे वो चुनाव हो या क्रिकेट मैच, चाहे दिवाली का अवसर शहर मे खुलेआम जुड़े और सट्टे का प्रचलन जारी है। पुलिस थाने के “रिनोवेशन में जुवारियों और सटोरियो से पैसे लगवाकर थानों में उनका सम्मान किया जाता है। ऐसे में अपराधिक चरित्र वाले व्यक्तियों को सामाजिक हीरो का दर्जा देकर नई पीढ़ी को पाट कारने का काम बीकानेर पुलिस कर रही है। कोई भी जुआ और सट्टा पुलिस की सरारस्ती के बिना संभव नहीं है।

(6)शहर में गाजा, एमडी और गंभीर प्रवृत्ति के नशे का व्यापार बेरोकटोक जारी है। इस व्यापार को करने वाले लोगों की अपराधिक गैंग नौजवान युवक युवतियों को कैरियर के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। शहर में पिछले दिनों हुई नौजवान की हत्या की घटना भी नशे के कारोबार से जुड़ी हुई थी। इसके बावजूद पुलिस के संरक्षण में अवैध नशे का व्यापार बेरोकटोक जारी है।

(7) ग्रामीण क्षेत्रों में दलितों की जमीन पर कब्जा करने और दलितो के प्रति अपराध में भारी इजाफा हुआ है। गरीब पीडित और दलित व्यक्तिओं को न्याय दिलावा पाने में बीकानेर पुलिस अक्षम रही है।

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2 रेल फाटकों की समस्या

जस की तसपिछली भारतीय जनता पार्टी के शासन के समय बीकानेर शहर के बीच से गुजर रही रेल लाइन पर स्थित रेल फाटकों की समस्या के समाधान के लिए एलीवेटेड रोड का मॉडल एलीवेटेड रोड का विकल्प सुझाया गया था और पिछले शासन में नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के माध्यम से बजट भी स्वीकृत कर दिया गया था, लेकिन उस समय माननीय बीडी कल्ला जी ने भूख हड़ताल करके एलीवेटेड रोड का विरोध किया था और रेल बायपास के विकल्प को सही माना था परंतु पिछले 5 साल में यह इस समस्या के समाधान में एक कदम भी आगे नहीं बढ पाए चुनाव आते-आते कोटगेट और सांखला फाटक पर रेल अंडरब्रिज की वित्तिय स्वीकृति का ढोग रचकर झूठी वाहवाही लेना चाहते है। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए कोईप्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

3 सूरसागर की दुर्दशा

2008में भाजपा शासन में बीकानेर की बहुप्रतिष्ठित सूरसागर की समस्या का निदान किया जाकर इसे एक पर्यटक स्थल में विकसित किया गया, लेकिन पिछले 5 साल में कांग्रेस शासन के दौरान सूरसागर को भ्रष्टाचार का तालाब बना दिया गया। पर्याप्त देखरेख के अभाव में और अधिकारियों के मलाई लूटने के अभियान में सूरसागर को बदहाल कर दिया गया है।।4. चरमराती ढांचागत सुविधाएं

(1) कृषि मंडी से रामपुरा बस्ती को जोड़ने वाला रेल ओवरब्रिज पिछले पांच साल में एक फुट भी आगे नहीं बढ़ पाया है और इसी से लगती रामपुरा बायपास की बदहाल स्थिति इस इलाके के लोगों के लिए नासूर बनी हुई है। रामपुरा बस्ती में निवास करने वाले हजारों लोग रोजाना हीइस समस्या से 2-4 हो रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार के पास इस समस्या के समाधान का कोई जवाब नहीं है।

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(2) इसी तरह चौखुटी पुलिया के पास कोई सर्विस रोड नहीं होने से इस इलाके में रहने वाले (लोग भारी परेशानी को सामना कर रहे है. लेकिन प्रशासन के कानों में कोई जूं नहीं रेंग रही है। जूनागढ़ के सामने पुरानी मिन्नाणी की तरफ तथा सूरसागर और पब्लिक पार्क के बीच रा रूप से नालों की समस्या बनी हुई है जो बार बार धंस जाते है लेकिन आगजन की भारी परेशानी के बावजूद नगर निगम और यूआईटी इनका कोई ठोस समाधान नहीं निकाल पा रही है।

(3) पूर्व विधानसभा और पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सड़को के मामले भारी सौतेला व्यवहार कियागया है। खासतौर से पूर्वी क्षेत्र के मौहल्लों और बस्तियों की सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। प्रशासन की अनदेखी के चलते आमजन शहर में ही चन्द्रमा पर होने का अहसास कर पा रहे हैं।

(4) शहर में जगह जगह सिवरेज घसी हुई पड़ी है, सिवरेज की समस्या का कोई स्थाई समाधान निकालने की रूचि इन पांच सालों में नहीं रही।

(5) कईम रोड, दाउजी रोड स्टेशन रोड जैसे भीड़ भाड़ वाले व्यस्तम बाजारों में ट्रैफिक के ब भार के मद्देनजर प्रशासन के द्वारा पार्किंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट की कोई योजना नहीं है, लंबे समय से इन इलाको में पार्किंग बनाई जाने की बात कही जा रही है. लेकिन इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है।

(6) जयपुर रोड पर हल्दीराम प्याउ से लेकर बायपास सर्किल के मध्य डिवाइडर की आवश्यक जरूरत बनी हुई है, यूआईटी ने अपने बजट में भी इस सड़क को फोर लाइन करने और डिवाहर बनाने की घोषणा की थी। नियमित रूप से दुर्घटना होने के बावजूद इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

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(5)पेयजल की पीड़ाशहर के अनेक मोहल्लों और कॉलोनियों में आम आदमी को पीने के पानी की सप्लाई की समस्या से हर रोज सामना करना पड़ रहा है। पीएचडी महकमे के मंत्री होने के बावजूद स्थानीय विधायक ने आम आदमी को राहत देने का कोई काम नहीं किया है। जयपुर रोड में बसने वाली लगभग 60 कॉलोनिया पेयजल लाइन से वंचित है। यूआईटी को करोड़ों रूपये डवलपमेंट चार्ज देने के बावजूद पेयजल की सुविधा इन कॉलोनियों में नहीं कराई गई है।

3. बिजली

(1) बीकानेर में जोधपुर डिस्कॉम की फ्रेंचाइजी बीकानेर इलेक्ट्रिक सप्लाई लिमिटेड की तानाशाही जगजाहिर है, मनमर्जी से आम उपभोक्ता के मीटर बदले जाते है तेज चलने वाले मीटरों के जरिये कंपनी अवैध वसूली कर रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है, जबकि बिजली महकमे के मंत्री जिले के विधायक है।

(2) प्रति यूनिट बिजली खर्च पर 17 पैसे फमूल सरचार्ज के नाम पर अडाणी गहलोत टैक्स आम आदमी से वसूला जा रहा है।

3. स्थानीय निकाय

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1) पिछले 15 साल से सरकार द्वारा नगर निगम और यूआईटी के माध्यम से पट्टा अभियान, बताया गया लेकिन अधिकारियों की तानाशाही के चलते शहर के आम नागरिक को बिना रिश्वत के एक भी पट्टा नहीं दिया गया। मनमर्जी तरीके से पट्टों के नाम पर वसूली की गई और आम आदमी इस पीड़ा से गुजरता ही रहा ।

(2)बीकानेर में निर्वाचित महापौर का राज्य सरकार के इशारे पर बार-बार अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया। एक महिला जनप्रतिनिधि के साथ इस तरह का व्यवहार न केवल निंदनीय है बल्कि लोकतंत्र में नौकरशाही को हाथी करना किसी भी तरह से उचित नहीं है ।

(3) वर्ष 2013 में नगर विकास न्यास द्वारा बनाए गए पट्टो में चल रहे विवाद का पिछले 5 साल में कोई भी समाधान नहीं किया गया जिसके चलते हजारों पट्टा धारकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

(4) पिछले 5 साल में शहर की बढ़ती आबादी के मध्य नजर कोई भी आवासीय योजना यूआईटी अथवा नगर निगम द्वारा नहीं लाई गई मध्यम वर्गीय और गरीब परिवार कैसे घर बना पाए उसके लिए कोई भी हाउसिंग स्कीम सरकार की प्राथमिकता में नहीं रही । इसी तरह 2023 में शहर का नया मास्टर प्लान बनाया जाना चाहिए था लेकिन उसे पर भी कोई प्रभावी काम नहीं हो का वर्तमान मास्टर प्लान का लगभग आवासीय क्षेत्र भर चुका है ऐसे में पेराफेरी बेल्ट में नई आवासीय प्लान खोले बिना शहर की आबादी का सही नियोजन कैसे संभव हो पाएगा ।

(5) शहर में नगर निगम प्रशासन अपनी भूमिका निर्वहन करने में असफल रहा। आवारा कुत्तों और आवारा पशुओं के जातक से आम आदमी त्रस्त ही रहा ।

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4.अव्यवस्था की भेंट चढ़ा पीबीएम अस्पताल

(1)मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं निशुल्क जाच योजना शुरू होने के बाद जिस तरह की भीड़ सरकारी अस्पतालों में बढ़ी है उसके मुकाबले में न इफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया गया न ही चिकित्सा एवं गैर चिकित्सकीय पदो को बढ़ाया गया है। ऐसे में पीबीएम हॉस्पिटल में बुरी तरह से अव्यवस्था का आलम बना हुआ है। पिछले 5 साल में जिस तरह का नया विकास होना चाहिए या उसे तरह का कोई महत्वपूर्ण काम मेडिकल क्षेत्र में नहीं हो पाया है ।

5.खेतीऔर किसानी

कांग्रेस पार्टी ने अपने जन घोषणा पत्र में नहारी कास्तकारों को पूरा पानी देने और टयूबवेल के काश्तकारों को 8 घंटे बिजली देने का वादा किया था। बीकानेर जिले के किसानों को पूरे 5 साल 4 घंटे से ज्यादा न तो बिजली मिली और नए ही नहरी काश्तकारों को पानी । जिसके मन उत्पादन प्रभावित हुआ बल्कि किसान की माली हालत भी खराब हुई ।

(2)टीडी के हमले और फसल खराबी के दौरान बार-बार मुख्यमंत्री गिरदावरी की बात तो कहते रहे लेकिन किसी भी किसान को उचित मुआवजा नहीं दिया गया। वहीं लपी में जितना गोवंश हमारे जिले में काल कबित हुआ उसके मुकाबले एक फीसदी पशुपालकों को भी मुआवजा नहीं मिला ।

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(10)खनन माफिया और रॉयल्टी माफिया की दादागिरी

(1) सीमावर्ती क्षेत्र में जिस तरह से जिस और बजरी खनन माफिया की सारी दल के नेताओं के संरक्षण में अवैध खनन की छूट मिली वह अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण थी और 10 ला रॉयल्टी वसूली करके बीकानेर के नेताओं ने भ्रष्टाचार का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया । बीकानेर जिला जो चास तौर से खनन और ट्रांसपोर्ट पर निर्भर है ऐसे में इन दोनों क्षेत्रों में सरकार समर्थित माफिया ने 5 साल आम आदमी को परेशान करने का काम किया

शिक्षा का क्षेत्र

(1) बीकानेर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में अध्यापको के अनाव में हमने बच्चों को गांव जिला मुख्यालय तक पदयात्रा करने के दृश्य देखे । स्कूलों में तालाबंदी रही और बड़ी संख्या में खोल दिए महात्मा गांधी स्कूलों में भी शिक्षकों का अभाव रहा। इतना ही नहीं उच्च शिक्षा यो नाम पर सभी उपखंड मुख्यालयों पर कॉलेज को खोल दिए गए लेकिन उसके काले कालज व्याख्याता की भारी कमी रही। कहने को तो सरकार ने उच्च का इशार कर दिया लेकिन बिना शिक्षकों के कॉलेज किस काम के ?

(2)राजस्थान का एकमात्र खेल आवासीय विद्यालय साहुल वोटर्स स्कूल अपनी व्यस्थाओं की जलते हुए बदहाली के कगार पर पहुंच गया है जिसके लिए सरकार की कोई प्रभावी योज नहीं है।

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(12 )बजट घोषणा के बावजूद जिले में ने तो एग्रो फूड पार्क की योजना अमली जामा पहन पाई और न ही ड्राई पोर्ट बन पाया जिसके चलते बीकानेर का औद्योगिक विकास लगभग अवरुद्ध सा हो गया है। साथ ही टूरिज्म में जिस तरह का डेवलपमेट बीकानेर में किया जाना चाहिए माउसे तरह की कोई योजना 5 साल में नहीं बनाई गई । कुल मिलाकर बीते 5 साल बीकानेर के लिए कुशासन का प्रतीक रहे। कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल रही। शहर में ढांचागत विकास का कोई काम नहीं हुआ । रेल फाटकों की समस्या से निजात नहीं मिला और अन्य संभाग मुख्यालयों के मुकाबले बीकानेर विकास को तरसता रहा।

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