RASHTRA DEEP NEWS। बिहार में महागठबंधन की भावी चुनौती से निपटने के लिए भाजपा छोटे दलों, लेकिन सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण ताकतों के जरिए अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटी है। भाजपा, लोजपा के दोनों धड़ों के साथ, जीतनराम मांझी, उपेंद्र पासवान, मुकेश सहनी को साथ लेकर आगे बढ़ने की तैयारी में है संकेत हैं कि इन दलों के साथ भाजपा तीस-दस के फार्मूले पर सीटों का तालमेल कर सकती है, जिसमें तीस सीटें वह अपने पास रखेगी। इन दलों के कुछ उम्मीदवार भाजपा के चिन्ह पर भी उतर सकते हैं।
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर रखते हुए हो रही तैयारी में भाजपा की चिंता उन राज्यों को लेकर ज्यादा है, जहां विपक्षी खेमा एकजुट हो रहा है । भाजपा के पास कोई बड़ा सहयोगी नहीं है। बिहार इसमें सबसे अहम है। बिहार में जद (यू), राजद व कांग्रेस का मजबूत महागठबंधन हे दूसरी तरफ भाजपा के साथ अभी लोजपा के दोनों धड़े भर हैं।
नीतीश कुमार को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में भाजपा ऐसे में नीतीश से नाराज व दूर बनाए दलों व नेताओं को साधना शुरू कर दिया है। दलित खासकर पासवान समुदाय को साधने के लिए उसके साथ लोजपा के केंद्रीय मंत्री पशुपति नाथ पारस और सांसद चिराग पासवान के नेतृत्व वाले दोनों धड़े हैं। जद (यू) से बाहर आए उपेंद्र कुशवाहा और वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी से बात चल रही है।
भाजपा नेताओं का दावा है कि इन दलों के साथ आने से जातीय और सामाजिक समीकरणों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को लाभ मिलेगा। जातिगत दृष्टि भाजपा को पासवान, मल्लाह, कुशवाहा और कोयरी समुदाय का समर्थन मिल सकता है।