RASHTRADEEP NEWS
राजस्थान के जयपुर में आयोजित जनसभा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का भाषण नहीं होना प्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है। सियासी जानकार इसके अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे बीजेपी की गुटबाजी से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल, सीएम फेस नहीं बनाए जाने से वसुंधरा राजे नाराज बताई जा रहीं है। राजे समर्थक खुलकर विरोध जता रहे हैं। चर्चा है कि पीएम मोदी गुटबाजी से नाराज है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी इसके संकेत दिए है। पीएम मोदी ने सीएम फेस को लेकर साफ कर दिया है कि हमारी पहचान और शार सिर्फ कमल का फूल है। मोदी का इशारा वसुंधरा राजे की तरफ माना जा रहा है।
क्या वसुंधरा राजे साइडलाइन है? मोदी के सभास्थल से आने से पहले ही नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, कैलाश चौधरी, किरोड़ी लाल मीना और दीया कुमारी सहित कई दिग्गज नेताओं के भाषण कराए गए। लेकिन तब वहां पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मौजूद नहीं थी। जब पीएम मोदी मंच पर पहुंचे तब वसुंधरा राजे दिखाई दी। लेकिन पीएम मोदी के आने के बाद केवल बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ही मंच पर भाषण देते हुए दिखाई दिए। वसुंधरा राजे का भाषण नही होने का एक बड़ा कारण समय की कमी का रहा, जब राजे मंच पर पहुंचे तक तक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सभा स्थल तक पहुंच गए थे, जिसके कारण सभा में सी पी जोशी का भाषण ही हो पाया l,ऐसे में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी वसुंधरा राजे को साइडलाइन क्यों कर रही है।
दीया कुमारी की बढ़ती सक्रियता, एक चेहरे की मजूबती नहीं बल्कि सबकों तवज्जो का मैसेज दिया है। यही वजह है कि मंच प्रमुख तौर पर किसी एक नेता को भाषण देने की पूरी तवज्जो नहीं मिली है। वसुंधरा राजे के बाद राजस्थान की मजबूती किसके कंधों पर होगी। ऐसे में कतार में खड़े दूसरी श्रेणी के नेता गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल, राजेंद्र सिंह राठौड़, दीया कुमारी, सतीश पूनिया और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का नाम भी शामिल हो गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में दीया कुमारी की बढ़ती भूमिका पार्टी में उनके बढ़ते कद की इशारा कर रही है।