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राजस्थान में लोकसभा चुनावों का रिजल्ट आने के बाद भी सियासी पारा अभी भी गर्म है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के साथ 11 सीटों पर अपना कब्जा किया। वहीं बीजेपी ने 25 में 14 सीट पर जीत हासिल करी। इधर, राजस्थान की पांच लोकसभा सीटों पर विभिन्न विधायक सांसद चुने गए। इसके कारण विधानसभा सीटों पर विधायक का पद खाली हो गया है। इसके चलते अब फिर से राजस्थान में पांच विधानसभाओं में उपचुनाव होंगे। इनमें एक-एक आरएलपी, बाप पार्टी के और तीन कांग्रेस विधायक शामिल हैं।
इन पांच विधानसभाओं की सीटें खाली होने से होंगे उपचुनाव
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के चलते कांग्रेस और आरएलपी ने अपने पांच विधायकों को चुनावी मैदान में उतारा। इस दौरान मंगलवार को आए रिजल्ट के बाद राजस्थान की देवली उनियारा, झुंझुनू, खींवसर, चौरासी (बांसवाड़ा) और दौसा विधानसभा के विधायकों ने चुनाव जीत लिया है। इसके चलते इन विधानसभा सीटों पर विधायक का पद खाली हो गया है। ऐसी स्थिति में फिर से इन विधानसभाओं पर उपचुनाव आयोजित किए जाएंगे। बता दें कि किसी भी विधानसभा सीट खाली होने के बाद 6 माह के दौरान वहां चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव आयोजित किए जाते हैं।
टोंक जिले के देवली उनियारा विधानसभा में सचिन पायलट के करीबी हरीश मीणा दूसरी बार लगातार यहां से विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। जहां उन्होंने दो बार के बीजेपी के सांसद रह चुके सुखबीर सिंह जौनपुरिया को पटखनी देते हुए चुनाव जीता। ऐसे में अब सियासी चर्चा शुरू हो गई है कि देवली उनियाल से हरीश मीणा का उत्तराधिकारी कौन होगा? माना जा रहा है कि देवली उनियारा में टिकट का निर्धारण सचिन पायलट और हरीश मीणा मिलकर करेंगे। अब देखना होगा कि दोनों नेता किसके टिकट पर अपनी मोहर लगाते हैं?
झुंझुनू विधानसभा में भी बृजेंद्र ओला विधायक चुने गए थे। उन्हें भी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान झुंझुनू से चुनाव मैदान में उतारा। अब बृजेंद्र ओला जीतकर सांसद बन चुके हैं। इस स्थिति में बृजेंद्र के बेटे को मिल सकता है मोका।
नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ है। इस सीट से बेनीवाल तीन बार विधायक बने हैं। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर लगातार दूसरी बार बेनीवाल नागौर सीट से सांसद चुने गए हैं। उन्होंने बीजेपी की ज्योति मिर्धा को हराकर फिर से नागौर की सीट पर कब्जा किया है। इस बार चर्चा है कि में बेनीवाल अपने पत्नी कनिका बेनीवाल को भी चुनाव लड़वा सकते हैं। पिछले उपचुनाव में भाई नारायण बेनीवाल को मैदान में उतारा था और नारायण बेनीवाल चुनाव भी जीते थे। भाई नारायण बेनीवाल को फिर से मैदान में उतार सकते हैं।
भारत आदिवासी पार्टी ने तीन सीट जीती। इनमें डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट भी शामिल है, जहां से राजकुमार रोत विधायक हैं। अब उपचुनाव में भारत आदिवासी पार्टी चौरासी सीट पर किसे प्रत्याशी बनाएंगे? इसको लेकर राजकुमार के करीबी पोपट खोखरिया और दिनेश का नाम चर्चाओं में आगे है।
दौसा विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री मुरारीलाल ने भी 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। अब लोकसभा चुनाव में मुरारीलाल दौसा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। ऐसे में कांग्रेस उन्हीं के परिवार के किसी सदस्य पर उपचुनाव में दांव खेल सकती है। इस दौरान मुरारीलाल मीणा की बेटी निहारिका अपने पिता की सीट पर उपचुनाव के मैदान में उतर सकती है। कांग्रेस मुरारीलाल मीणा की पत्नी सविता मीणा को भी चुनाव लड़ा सकती है। इसके अलावा कांग्रेस नरेश मीणा को भी यहां से चुनाव लड़ा सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान दौसा से नरेश मीणा ने टिकट की मांग की थी, लेकिन उनकी जगह मुरारी लाल मीणा को टिकट मिला।