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शरद पूर्णिमा पर इस वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण लग रहा है। यह ग्रहण मध्य रात्रि 1:05 बजे से शुरू होगा और 2:24 बजे समाप्त हो जाएगा। बरेली के ज्योतिषाचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया कि ग्रहण का सूतक शाम को 4:05 बजे से प्रारंभ हो जाएगा। ऐसे में लोग शाम 4:05 बजे से पहले या फिर ग्रहण मुक्ति के बाद पूजा-पाठ कर करेंगे।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ग्रहणयुक्त शरद पूर्णिमा का महत्व कई गुना अधिक रहेगा। इस पूर्णिमा पर गजकेसरी, बुधादित्य, शश व सिद्ध योग के साथ सूर्य, मंगल और बुध त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। पंच महायोगों में यह पूर्णिमा सभी मनवांछित इच्छाओं को पूर्ण करेगी और मां लक्ष्मी की कृपा भी भक्तों को प्राप्त होगी। पूर्णिमा की रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विधान है। इस दिन चंद्रमा के औषधीय गुण खीर में समाहित हो जाते हैं, जो रोगों से मुक्ति प्रदान करते हैं। ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसमें तुलसी का पत्ता डालकर रखें। दिन में माता लक्ष्मी को भोग लगाकर उसका प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है।
सूतक काल : शाम 4 बजे से रात 02.26 बजे तक।
ग्रहण काल : रात 01.05 से 02.24 बजे तक ।
सूतक काल में न करें ये काम, सूतक काल में स्नान, दान, पुण्य कार्य, हवन और भगवान की मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इस समय आप गुरु मंत्र, राहु और चंद्रमा के मंत्रों का जप कर सकते हैं। हालांकि, सूतक काल में गर्भवती स्त्री, बच्चे, वृद्धजन भोजन कर सकते हैं। उन्हें दोष नहीं लगेगा। सूतक काल आरंभ होने से पहले खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते या कुश डाल दें।