RASHTRA DEEP NEWS
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की दिल्ली में हुई बहुप्रतीक्षित बैठक का हाल पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के लिए ‘दो दिन चले अढ़ाई कोस’ वाला ही रहा। गहलोत-पायलट विवाद पर आलाकमान ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली और एक बार फिर पूर्व डिप्टी सीएम को ‘एकजुटता का लॉलीपॉप’ और सरकार को ‘रिपीट करने का झुनझुना’ पकड़ा दिया। पार्टी पेपरलीक पर कानून बनाने की बात कहकर पायलट के सभी मुद्दों को हल करने का दावा कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि सचिन की निजी सम्मान की लड़ाई हमेशा से ही इससे अलग थी। कांग्रेस थिंक टैंक ने गहलोत-पायलट विवाद को शांत करने का एक बड़ा मौका गंवा दिया। दिल्ली बैठक से साथ ही यदि सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ की तरह कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाती तो उनका सम्मान बना रहता और एकजुटता के साथ सरकार को रिपीट करने की कोशिशें होतीं।