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राजस्थान में जहां एक तरफ विधानसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी तेज होने लगी है वहीं दूसरी ओर प्रदेश की छात्र राजनीति का सियासी अखाड़ा सूना दिखाई दे रहा है। दरअसल, राजस्थान में इसबार अगस्त का पहला हफ्ता गुजर जाने के बाद भी छात्रसंघ चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है जिसको लेकर अब छात्रनेता और प्रदेश की राजनीति में भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
इस बीच छात्रसंघ चुनाव करवाने को लेकर सरकार ने प्रदेश के सभी कुलपतियों से हाल में एक रिपोर्ट मांगी थी उसके दिए गए फीडबैक के बाद अब माना जा रहा है कि इस बार सरकार छात्रसंघ चुनाव करवाने के मूड में नहीं है। हालांकि अभी इस बारे में कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
कुलपतियों ने सौंपी नेगेटिव रिपोर्ट…
जानकारी मिली है कि सरकार द्वारा सभी कुलपतियों से छात्रसंघ चुनाव 2023 करवाने को लेकर कानून व्यवस्था बनाए रखने और नई शिक्षा नीति में शुरू हुए सेमेस्टर सिस्टम के बाद छात्र संघ चुनाव करवाने की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के अधिकतर कुलपतियों ने चुनाव करवाने को लेकर सरकार को नेगेटिव रिपोर्ट सौंपी है।
बताया जा रहा है कि नेगेटिव रिपोर्ट का आधार प्रदेश के छात्र नेताओं द्वारा बार-बार लिंग दोह कमेटी का उल्लंघन करना और हर दिन होने वाले धरने-प्रदर्शन के कारण शैक्षणिक माहौल खराब होना बताया गया है। कुलपतियों की नेगेटिव रिपोर्ट के कारण अब इस बार के छात्रसंघ चुनाव को लेकर संशय बना हुआ है।
छात्र संगठनों में रोष का माहौल…
हर साल छात्रसंघ चुनाव को लेकर तकरीबन जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में अधिसूचना जारी हो जाती है और पिछले साल भी अधिसूचना 29 जुलाई को जारी हो गई थी लेकिन इस बार अगस्त का 1 हफ्ता बीतने के बाद भी छात्रसंघ चुनावों की अधिसूचना जारी नहीं होना कहीं ना कहीं चुनाव पर रोक लगाने की सुगबुगाहट को बढ़ावा दे रहा है।
वहीं कुलपतियों की नेगेटिव रिपोर्ट की सूचना के बाद छात्र संगठनों में भी रोष का माहौल है और छात्र नेताओं का कहना है कि चुनाव पर अगर रोक लगती है तो कहीं ना कहीं प्रदेश में यह लोकतंत्र की हत्या होगी।