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शिक्षा विभाग ने अधिकारियों की बैठकाें और सरकारी दाैरे पर हाेने वाली फिजूलखर्ची पर राेक लगाने का निर्णय लिया है। शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने आदेश जारी किया है। अब कोई भी अधिकारी सरकारी दौरे, कार्यक्रम में स्वागत में न तो पगड़ी पहन पाएगा और न ही उपरणा लेगा।
गुलदस्ता और स्मृति चिह्न लेने पर भी राेक लगाई गई है। ऐसा करना नियमों के खिलाफ होगा। चर्चा है कि इस आदेश से सबसे बड़ी राहत शिक्षा विभाग के प्रिंसिपलों और प्रधानाध्यापकों को मिली है। क्योंकि स्कूलों में आए दिन डीईओ, सीडीईओ, सीबीईईओ या अन्य अधिकारी औचक निरीक्षण के नाम पर पहुंच जाते हैं। ऐसे में उनके स्वागत के लिए प्रिंसिपलों को हमेशा अपने पास पगड़ी और उपरणा रखने पड़ते हैं। कई तो रोज बैग में लेकर स्कूल जाते हैं और वापस लेकर आते हैं। पता नहीं कब कौन आ जाए। सरकारी खर्च पर होता है स्वागत-सत्कार।
बैठकों में इस्तेमाल होने वाले बोतल बंद पानी पर भी रोक लगा दी है। विभाग का तर्क है कि इससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश जाएगा। प्लास्टिक सामग्री के उपयोग पर भी रोक लगाई गई है। साथ ही बैठक के बजट और प्रावधानों के तहत ही चाय-नाश्ते की स्वीकृति होगी। अन्यथा बिना चाय नाश्ते के ही काम चलाना पड़ेगा। अधिकारियों को सरकारी गेस्टहाउस, सर्किट हाउस या राजकीय आवास आदि में ही रुकने को कहा गया है।
खर्च कम करने या फिर नवाचार के लिए प्रयोग अच्छा, लेकिन पालना पर संशय
एक प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिक्षा विभाग ने अच्छी पहल की है, लेकिन अधिकारी जब तक इसको लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब तक यह आदेश प्रभावी नहीं होगा। क्योंकि अगर, किसी स्कूल में आदेश के आधार पर स्वागत सत्कार नहीं किया तो अधिकारियों के नाराज होने का डर है। जिला संघर्ष समिति के संयोजक भैरूलाल का कहना है कि ऐसा न हो कि सिर्फ आदेश कागजों में सिमट कर रह जाए।
स्वागत पर 1 हजार तक खर्च
स्कूलों में अधिकारी निरीक्षण के लिए आएं तो स्वागत पर 500 रुपए तक खर्च होता है। यदि कोई बड़ा अधिकारी आता है तो खर्च 1 हजार रुपए तक पहुंच जाता है। जिला स्तर के अधिकारी को पगड़ी और उपरणा ओढ़ाया जाता है। साथ ही पानी की बोटल और अन्य खर्च भी होते हैं।