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भारत को कृषि आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाले महान वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का निधन हो गया है। वह 98 साल के थे। वृद्धावस्था के कारण आज सुबह 11.20 बजे चेन्नई में उनका निधन हो गया। उन्हें हरित क्रांति के जनक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने देश में अकाल के समय किसानों और सरकारी नीतियों के साथ-साथ अन्य वैज्ञानिकों की मदद से एक सामाजिक क्रांति लाई। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के निदेशक के रूप में काम किया। Y 40 से ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं, उनकी बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन भी एक वैज्ञानिक हैं। उनके निधन से किसानों समेत विभिन्न क्षेत्र के लोगोंअगला लेखविज्ञापन को दुख पहुंचा।
उन्होंने 1987 में प्राप्त प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार में हासिल राशि से एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट के रूप में 1988 में एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (एमएसएसआरएफ) की स्थापना की। संस्थान के एक अधिकारी ने कहा कि सुबह 11 बजे के बाद उनका निधन हो गया।तमिलनाडु के तंजावुर जिले में जन्मे स्मामिनाथन को 1960 के दशक के दौरान भारत में उच्च उपज देने वाली गेहूं और चावल की किस्मों के विकास के लिए विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता के रूप नामित किया गया था। स्वामीनाथन ने भारत में कृषि नीतियों को स्थापित करने के लिए दिवंगत प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम किया। वह 1974 में रोम में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कांग्रेस सहित कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अध्यक्ष बने ।
बंगाल का अकाल देख किया सेवा का फैसला1943 के बंगाल अकाल के दौरान उन्होंने भूख के कारण लाखों लोगोंकी मौत देखी और दुनिया से भूख मिटाने के लिए अपना जीवन समर्पितकरने का फैसला किया। उन्होंने पुराने महाराजा कॉलेज से जूलॉजी मेंस्नातक की उपाधि प्राप्त की, जो मौजूदा वक्त में तिरुवनंतपुरमयूनिवर्सिटी कॉलेज के नाम से जाना जाता है। उन्होंने पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्म विभूषण, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार,बोरलॉग पुरस्कार आदि जैसे कई पुरस्कार हासिल किए।हमें फॉलो करेंउनकी बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथ ने 2019-2022 तक विश्व स्वास्थ संगठन में मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया। उन्होंने जनवरी क शुरुआत में एमएसएसआरएफ के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला।