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उत्तर- पश्चिमी राजस्थान के किसानों ने सालों तक अकाल की मार झेली है। इस साल औसत से भी ज्यादा बारिश होने के बावजूद समय पर पानी नहीं मिलने से फिर अकाल के हालात बन गए है। मानसून की बेरुखी के चलते अब भीषण गर्मी के साथ रात को पड़ रही हवाओं से फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है।
पांच से सात दिनों में बारिश नहीं हुई तो बीकानेर में बरानी फसलें चौपट हो जाएगी। पिछले कई दिनों से बादलों की आवाजाही से बारिश होने की उम्मीद बनी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार बारिश की अभी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। बाजरा, ग्वार, मोठ, मूंग सहित अन्य दलहनी फसलों की मानसून के दौरान पर्याप्त पानी मिल जाने और फिर सर्दी का मौसम शुरू हो जाने से अच्छी पैदावार हो जाती है। इस साल समय से पहले बारिश होने पर किसानों ने अगेती बुआई कर दी और फसलें लहलहाने भी लगी। जब बारिश की जरुरत पड़ी तो इन्द्रदेव मानो रुठ गए हो। बीते एक-डेढ़ महीने में एक बार भी बारिश नहीं हुई, जिसके कारण खरीफ की फसलें तबाह होती दिख रही है।
50 फीसदी से ज्यादा नुकसान
अकेले लूणकरनसर के किसानों के अनुसार अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में बारिश की आवश्यकता थी, लेकिन सितंबर माह खत्म होने के बाद भी बारिश नहीं हुई है। दिन में भीषण गर्मी व रात को ठंड पड़ने के मौसम में फसलें चौपट हो रही है। किसानों के अनुसार बारिश के अभाव में 50 फीसदी फसलें चौपट हो चुकी है। अब भी यदि बारिश नहीं होती है तो ग्वार की फसलों 80 फीसदी से भी अधिक नुकसान की आशंका है।