Mumbai local train blast case
2006 में मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विशेष टाडा अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए सबूत भरोसेमंद नहीं हैं और आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया गया है।
इस फैसले से उन 5 आरोपियों को भी राहत मिली है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी, जबकि अन्य 7 को उम्रकैद दी गई थी। कोर्ट ने सभी आरोपियों की तत्काल रिहाई के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच — न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति एस. चांडक — ने अपने फैसले में कहा कि 100 दिन बाद किसी भी संदिग्ध की पहचान सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं, इसलिए चश्मदीदों के बयान अविश्वसनीय हैं।
अदालत ने धमाकों से जुड़ी बरामदगी जैसे बम, हथियार और नक्शों को भी केस से असंबंधित मानते हुए कहा कि जब धमाकों में इस्तेमाल विस्फोटक का प्रकार तक अभियोजन नहीं बता सका, तो ऐसी बरामदगी का कोई मतलब नहीं। इस केस में महाराष्ट्र एटीएस ने 13 लोगों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 को फरार बताया गया, जिनमें से कई के पाकिस्तान में होने की आशंका जताई गई थी। ट्रायल कोर्ट ने 2015 में 12 को दोषी करार दिया था।
हाईकोर्ट में 2015 से मौत की सजा की पुष्टि और दोषियों की अपील लंबित थीं, जिन पर जनवरी 2025 में सुनवाई पूरी हुई। आखिरकार 19 साल बाद अदालत ने इस मामले में इंसाफ देते हुए बड़ा फैसला सुनाया।