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राजस्थना की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के दौरान हुए 900 करोड़ रुपए के कथित घोटाले की जांच में अब सीबीआई की एंट्री हो गई है। एसीबी और ईडी के बाद अब सीबीआई ने भी एफआईआर दर्ज कर ली है। राज्य सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने जलदाय विभाग के एक्सईएन विशाल सक्सेना, श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के प्रोपराइटर पदमचंद जैन, श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी शाहपुरा के प्रोपराइटर महेश मित्तल के खिलाफ केस दर्ज किया है। एफआईआर में अज्ञात सरकारी एवं गैर सरकारी लोगों को भी शामिल माना गया है। ऐसे में नेताओं और अफसरों की मुश्किलें बढ़ना अब तय है।
इस केस में किसी नेता और अफसर का नाम नहीं लिखा है लेकिन पूर्व जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी, जलदाय विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल सहित अन्य अफसरों और मंत्री के नजदीकी लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। पूर्व मंत्री महेश जोशी और आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित कई ठेकेदारों और दलालों के आवास पर ईडी पूर्व में छापा मार चुकी है। अब सीबीआई के अफसर अपने स्तर पर जांच करेंगे। ईडी के अधिकारियों के मुताबिक छापे की कार्रवाई के दौरान अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। ईडी बार बार महेश जोशी को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब कर चुकी है लेकिन महेश जोशी ईडी के दफ्तर में हाजिर नहीं हो रहे हैं। पिछले महीने लगातार दो नोटिस दिए थे। पहले नोटिस पर डॉ. महेश जोशी ने 15 दिन का समय मांगा। ईडी ने समय नहीं दिया तो दूसरा नोटिस मिलते ही डॉ. जोशी की तबियत बिगड़ गई और वे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हो गए।
करीब साल भर पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने जल जीवन मिशन योजना में हुए घोटाले का खुलासा किया था। एसीबी ने जलदाय विभाग के एक्सईएन मायालाल सैनी और जेईएन प्रदीप कुमार को ठेकेदार पदम चंद जैन से 2.20 लाख रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। जैन की कंपनी का मैनेजर मलकैत सिंह भी था। जांच में आया कि जेजेएम में ज्यादा काम लेने और घटिया मेटेरियल लगाकर अधिक कमाई के लिए मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी (शाहपुरा) के साथ मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने इरकॉन के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगा कर 900 करोड़ के काम हासिल किए थे। एसीबी के इस खुलासे के बाद ईडी की एंट्री हुई थी। अब सीबीआई भी इस घोटाले की जांच करेगी।