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पाकिस्तानी तस्करों और पंजाब के ड्रग माफिया के गठजोड़ से पिछले तीन साल से चल रहे ड्रोन के जरिए हेरोइन तस्करी का खेल अब ‘एंटी ड्रोन तकनीक’ से रुकेगा। राजस्थान से सटी करीब 1 हज़ार 70 किलोमीटर लंबी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हो रही तस्करी को रोकने का यही एक तरीका हो सकता है। गौर करें तो राजस्थान फ्रंटियर में श्रीगंगानगर व बीकानेर सेक्टर पाकिस्तानी तस्करों और पंजाब के ड्रग माफिया के लिए ड्रग तस्करी के आसान रूट बन चुके हैं। ऐसा पहला मामला अप्रेल 2022 में सीआइडी की सक्रियता से पकड़ में आया।
अनूपगढ़ जिले के बॉर्डर से सटे गांव 33 एपीडी के दो सगे भाइयों सहित चार जनों की गिरफ्तारी से सीमा पार से ड्रोन के जरिए पंजाब के ड्रग माफिया के लिए सात किलो हेरोइन आने का पता चला। उसके बाद ड्रोन के जरिए सीमा पार से हेरोइन की खेप आने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी तक थमा नहीं।
श्रीगंगानगर और बीकानेर सेक्टर में बीएसएफ, पुलिस और सीआइडी की सक्रियता और समन्वय से ड्रोन के जरिए हेरोइन तस्करी की दो दर्जन से अधिक घटनाएं पकड़ में आ चुकी हैं और दर्जनभर स्थानीय और पंजाब के ड्रग माफिया से जुड़े तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
हेरोइन की डिलीवरी देने के लिए भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाले ड्रोन का पता लगने पर रात्रि नाकों पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवानों के पास हाथ में पकड़ी असाल्ट या इंसास राइफल से निशाना साध कर फायरिंग करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। इस दौरान निशाना सटीक लग जाए तो हेरोइन की खेप सहित ड्रोन भारतीय सीमा में जमीन पर गिर कर ढेर हो जाता है। बीएसएफ जवानों ने साल भर में आधा दर्जन ड्रोन धराशायी किए, जिन्हें जांच के लिए दिल्ली मुख्यालय भेजा गया है।