RASHTRA DEEP NEWS BIKANER। राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल गया है। इस बदलाव में उन क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस के साथ मजबूती से खड़े होने का फैसला किया है, जो उससे दूरी बनाकर चल रहे थे। इसे आगे आम चुनाव के गठबंधन में तब्दील करने पर सहमति हो गई है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निवास पर सोमवार रात चली डिनर बैठक के विचार से साफ हो गया कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति बीआरएस और अरविंद केजरीवाल को आप ने कांग्रेस को भाजपा विरोध के केंद्र में रखने का मन बना लिया है। विपक्षी दलों ने सरकार को सड़क पर घेरने का 100 दिन का ब्लू प्रिंट भी बनाया है। बैठक में शामिल कांग्रेस नेताओं के अनुसार सुखद संकेत ये है कि विपक्षी एकजुटता की वकालत करने और भाजपा से लड़ाई के लिए मिलजुलकर चलने की दुहाई उन दलों के नेताओं ने दी, जो अभी तक अकेले मोदी सरकार से निपटने की बात कर रहे थे। 18 दलों में इस बात पर सहमति बनी कि मौजूदा हालात में यह अस्तित्व की लड़ाई बन गई है। तृणमूल जेपीसी की मांग से खुद को अलग रखे हुए थी, लेकिन रुख बदल लिया है। एक तृणमूल सांसद ने स्पष्ट किया कि हम जेपीसी के खिलाफ नहीं थे। अब तक बनी 14 जेपीसी का खास नतीजा नहीं निकला। बैठक में तय हुआ कि राज्यों में राजनीतिक हितों के टकराव को हल करने के लिए प्रमुख लीडरों की कमेटी बनेगी, जो सीटों के टेक्टिकल तालमेल का फार्मूला तय करेगी।
कमेटी हितों का टकराव रोकेगी, तालमेल बैठाएगी,
फिलहाल कमेटी बनाने के बजाए 3 प्रमुख मुद्दों पर फोकस करने की रणनीति तय की गई है। पहला मुद्दा- विपक्ष एकजुट होकर अदाणी मामले में जेपीसी बनाने की मांग करेगा। इसके लिए 6 अप्रैल तक बाकी सत्र में प्रदर्शन किया जाएगा। फिर लड़ाई को सड़कों पर लोगों के बीच ले जाया जाएगा। दूसरा मुद्दा लोकतांत्रिक अधिकारों को बचाने का होगा। तीसरा फोकस सुप्रीम कोर्ट में 14 दलों की ओर से दायर अर्जी पर होगा। इसमें केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।