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Rajasthan

5 सीटों पर स्थिति बिल्कुल अलग चुनाव कोई लड़ रहा, सियासत किसी और के नाम पर…

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RASHTRADEEP NEWS

राजस्थान की सात सीटों पर हो रहे विधानसभा उपचुनाव इस बार अलग वजह से भी याद किए जाएंगे। इस उपचुनाव में कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां प्रत्याशी से ज्यादा चर्चा वहां काम कर रहे नेताओं की हो रही है। जहां चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी की चर्चा से ज्यादा उनके दलों के दूसरे नेताओं की हो रही है।

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दौसा: इस सीट पर भाजपा ने जगमोहन मीना को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस से डीसी बैरवा को टिकट दिया है। पूरे चुनाव में इन दोनों की चर्चा कम और कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीना व कांग्रेस नेता सचिन पायलट की चर्चा ज्यादा हो रही है। जगमोहन किरोड़ी के भाई हैं और किरोड़ी ने ही चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। इसी तरह डीसी बैरवा को कांग्रेस ने टिकट तो दिया है, लेकिन यहां चर्चा में सचिन पायलट ज्यादा हैं।

खींवसर: आरएलपी ने यहां कनिका बेनीवाल को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन चर्चा उनके पति और सांसद हनुमान बेनीवाल की ज्यादा है। पूरा चुनाव हनुमान बेनीवाल ने ही संभाल रखा है। दूसरे दलों के नेता भी हनुमान बेनीवाल पर ही सियासी तीर छोड़ रहे हैं। बेनीवाल के लिए यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि कनिका चुनाव जीतती हैं तो ही आरएलपी का विधानसभा में अस्तित्व बचेगा। बेनीवाल परिवार ही लम्बे समय से इस सीट से जीतते आ रहा है।

झुंझुनूं: यहां कांग्रेस ने सांसद बृजेन्द्र ओला के पुत्र अमित ओला को उम्मीदवार बनाया है। उपचुनाव और प्रत्याशी की घोषणा होने से लेकर आज तक चुनाव की कमान बृजेन्द्र ओला के पास ही है और चर्चा भी उन्हीं की ज्यादा है। बयान भी उन्हीं के चर्चा में है। दूसरे दलों के नेता भी सियासी तीर बृजेन्द्र ओला पर ही ज्यादा छोड़ रहे हैं।

देवली-उनियारा: यहां से कांग्रेस ने नया चेहरा केसी मीना को चुनाव में उतारा है। कांग्रेस के बागी नरेश मीना भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इस पूरे चुनाव में टिकट वितरण से शुरू हुआ सियासी ड्रामा अभी भी जारी है। कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा चर्चा में यहां पूर्व विधायक और वर्तमान कांग्रेस सांसद हरीश मीना की है। बागी प्रत्याशी हो या फिर भाजपा के नेता, सबके निशाने पर हरीश मीना ही हैं।

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चौरासी: यहां बीएपी ने अनिल कटारा को टिकट दिया है, लेकिन कांग्रेस-भाजपा के निशाने पर अनिल की जगह बीएपी के सांसद राजकुमार रोत हैं। भाजपा रोत पर ज्यादा कटाक्ष कर रही है। स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता रोत पर ही निशाना साध रहे हैं।

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