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कांग्रेस चुनाव समिति में गहलोत का दबदबा, पायलट के करीबी को हटाकर दिया संदेश…


RASHTRA DEEP NEWS

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव समिति का गठन कर कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत-पायलट गुट को साधने की करी कोशिश। चुनाव समिति में गहलोत समर्थकों का दबदबा है। जबकि पायलट समर्थकों को किनारे कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि चुनाव समिति के गठन से साफ जाहिर है कि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा मजबूत हुए है । डोटासरा को गहलोत समर्थक माना जाता है। 2020 में बगावत करने पर पायलट को पीसीसी चीफ से हटा दिया गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का तर्क है कि सीएम अशोक गहलोत डोटासरा को पायलट के मुकाबले खड़ा करना चाहते हैं। तर्क यह भी दिया जा रहा है कि जाट वोट बैंक को साधने के लिए डोटासरा को यह बड़ी जिम्मेदारी दी है। क्योंकि बीजेपी ‘चुनाव से पहले सतीश पूनिया को हटाकर सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बना ने दिया था। कांग्रेस के नेता बीजेपी पर जाटों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि, पीसीसी चीफ डोटासरा कहते रहे हैं कि कांग्रेस में सोनिया-राहुल गांधी का एक ही गुट है। कोई गुट नहीं है । डोटासरा ने गुटबाजी से साफ इनकार किया है।

सचिन पायलट ने साधी चुप्पी, सचिन पायलट कैंप गुढ़ा के मामले में फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। पायलट कैंप के किसी भी नेता का बयान फिलहाल नहीं आया है। 2020 की बगावत के समय गुढ़ा समेत बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत का साथ दिया था। लेकिन बाद में पाला बदलकर पायलट कैंप में शामिल हो गए है। गुढ़ा ने सचिन पायलट की मौजूदगी में कांग्रेस आलाकमान को भी निशाने पर ले लिया था। पायलट कैंप के नेता सुलह के बाद चुप्पी साधे हुए है। पायलट के बेहद करीबी माने जाने वाले चाकसू विधायक के सुर भी सीएम अशोक गहलोत के प्रति बदले हुए नजर आ रहे हैं। जबकि राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में अपनी ही सरकार की आलोचना कर सरकार को असहज की स्थिति ला दिया।

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