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बीकानेर जिले के 2124 सरकारी स्कूलों में से काफी भवन मरम्मत मांग रहे हैं। प्रारंभिक शिक्षा के 437 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें टायलेट जर्जर हालत में हैं। इसके अलावा कई स्कूलों के कक्ष बंद हैं तो कुछ की छतों से पानी टपकता है। प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने हाल ही में राज्य में जर्जर भवन में चल रहे सरकारी स्कूलों से मरम्मत के प्रस्ताव मांगे हैं। इसे देखते हुए भास्कर ने जिले के स्कूलों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जिले में कक्षा एक से 12वीं तक के कुल 2124 सरकारी स्कूल हैं। इनमें से 437 प्रारंभिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में टॉयलेट जर्जर हालत में हैं। इनकी मरम्मत के प्रस्ताव जिला परिषद और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय भेजे गए हैं। उच्च माध्यमिक स्कूलों के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। जिले में 37 स्कूल किराए के भवनों में चल रहे हैं। इनमें 16 सीनियर सेकंडरी और 21 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के हैं। 21 में से 10 स्कूल पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में हैं, जो कांग्रेस सरकार में तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला के कार्यकाल में खोले गए थे। सरकार ने किराए के भवन में स्कूल तो शुरू कर दिए, लेकिन उनकी मेंटेनेंस का कोई बजट नहीं है। दरअसल किराए के भवन में संचालित स्कूलों पर सरकार पैसा खर्च नहीं करती। उसका दायित्व भवन मालिक का होता है, लेकिन भवन मालिक इस तरफ ध्यान ही नहीं देते। सामान्य टूट फूट भी शिक्षकों को ही सही करवानी पड़ती है।
बारहगुवाड़ स्कूल 50 साल पुराने भवनों में चल रही, सीनियर सेकंडरी स्कूल पुष्करणा स्कूल भवन परिसर में संचालित होती है। ट्रस्ट की संपत्ति होने और कोर्ट में विवाद लंबित होने के कारण 40 साल से मरम्मत नहीं हो पा रही। स्कूल प्रिंसिपल मधु पुरोहित का कहना है कि स्कूल भवन की मरम्मत के लिए कई बार लिख चुके हैं। पांच कमरों में स्कूल चलानी पड़ रही है। उसमें भी गैलरी और दो कक्षों की छत से बारिश में पानी टपकने लगता है। स्कूल की प्राथमिक शाखा भी नथानियों की सराय स्थित 50 साल पुराने भवन में लगती है। उसकी भी सालों से मरम्मत नहीं हो पाई है।
महिला आईटीआई हॉस्टल की छत से टपकता है पानी, बीएसएफ स्कूल को पटेल नगर स्थित महिला आईटीआई हॉस्टल में ट्रांसफर किया गया था। लेकिन उसकी छत पर टाइल्स नहीं होने के कारण उखड़ चुकी है। बारिश होने पर कक्षा कक्षों में पानी टपकने लगता है। दीवारों में सीलन आ चुकी है। टंकी भी जर्जर हो चुकी है। संस्था प्रधान का कहना है कि भवन आईटीआई का होने के कारण शिक्षा विभाग यहां पैसा नहीं लगा सकता। हॉस्टल में श्रम विभाग का ऑफिस भी लगता है। भवन की छत पर एक हिस्से में टाइल्स लग चुकी है।
मोतीगढ़ का सरकारी स्कूल बदहाल, जिले के मोतीगढ़ का सरकारी स्कूल बदहाल है। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है। बारिश में कक्षा कक्षों की छत से पानी टपकता है। दीवारों से प्लास्टर उखड़ने लगा हैं तथा स्कूल का रसोई घर भी जर्जर हो चुका है। भवन में सालों से रंग रोगन तक नहीं हुआ है। जर्जर भवन को देखकर हमेशा हादसे का डर बना रहता है। बरसात के मौसम में कक्षाओं में पानी भर जाता है। जिसकी वजह से पढ़ाई नहीं हो पाती। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल भवन की मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों को लिखा जा चुका है, लेकिन अब तक किसी ने सुध नहीं ली है। ग्रामीण क्षेत्र के कई स्कूलों में मानसून के दौरान पानी भरने की समस्या रहती है।
16 सीनियर सेकंडरी, 21 प्रावि, उप्रावि जर्जर, मेंटेनेंस नहीं, पाबू पाठशाला का भवन सरकारी है, लेकिन मरम्मत फिर भी नहीं हो पा रही है। क्षतिग्रस्त होने के कारण चार-पांच कमरे सालों से बंद पड़े हैं। स्कूल चलाने के लिए तीन-चार कमरे ही हैं, जिनमें से एक प्रिंसिपल का कक्ष भी शामिल है। यहां जर्जर कमरों को तोड़कर नई बिल्डिंग निर्माण की जरूरत बताई गई है। ऐसे ही कोलायत में महात्मा गांधी स्कूल बेलदारों का बास कोटड़ी का निर्माण खदानों पर करने से स्कूल की दीवारें फट गई हैं। दो कमरों के स्कूल में सात कक्षाएं चल रही हैं। वृंदावन एनक्लेव में भामाशाह ने सरकार को जमीन दे दी, लेकिन स्कूल भवन का निर्माण दो साल बाद भी नहीं हो पाया है। वहां दो प्राथमिक स्कूल स्वीकृत हुए हैं, जो दो कमरों में चल रहे हैं। ये कमरे भी भामाशाह ने ही उपलब्ध करवा रखे हैं।