Bikaner Breaking
  • Home
  • Rajasthan
  • RGHS में भर्ती करने के बदले नियम, 11 लाख कर्मचारी-पेंशनर्स को फायदा…
Image

RGHS में भर्ती करने के बदले नियम, 11 लाख कर्मचारी-पेंशनर्स को फायदा…

RASHTRADEEP NEWS

राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) के तहत प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले मरीजों को महंगी दवाइयां और इम्प्लांट सरकार उपलब्ध कराएगी। अगर कोई मेडिसिन या इम्प्लांट उपलब्ध नहीं होता है और उसे बाजार से खरीदते हैं तो सरकार की निर्धारित रेट से ज्यादा का होने पर अतिरिक्त चार्ज लाभार्थी खुद की जेब से भरेगा।

वित्त विभाग की ओर से आरजीएचएस के तहत लाभार्थियों (लोगों) के लिए नए संशोधित नियम जारी किए गए हैं। RGHS के लाभार्थी राज्य सरकार के कर्मचारी और पेंशनर्स हैं। इनकी संख्या 11 लाख से ज्यादा है। अभी तक प्राइवेट हॉस्पिटल ही भर्ती मरीजों को महंगी दवाइयां और इम्प्लांट उपलब्ध करवाते थे। उसका बिल इंश्योरेंस कंपनी को भेजकर क्लेम उठाते थे।

दरअसल, कई इम्प्लांट बाजार में आसानी से सीधे उपलब्ध नहीं होते और न ही उनकी दरें निर्धारित हैं। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक अपनी मर्जी से बाजार से ऑर्डर कर इन्हें मरीज को लगाते हैं। मनमर्जी से कीमत वसूलते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने अब इन इम्प्लांट और महंगी दवाइयों को अपने स्तर पर उपलब्ध करवाने या उनकी दरें निर्धारित करने का फैसला किया है।

ये होगा फायदा

इससे सीमित रेट पर अच्छी क्वालिटी की दवाइयां और इम्प्लांट लाभार्थियों को उपलब्ध हो सकेंगे। अभी कई प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक मुनाफा कमाने के लिए बाजार से सस्ती दरों पर दवाइयां और इम्प्लांट लाकर मरीज काे देते हैं। बिल में उनकी कीमत ज्यादा लगाकर अधिक पैसा उठाते हैं। ये नियम हेल्थ बेनिफिट एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिश के बाद जारी किए हैं। ओपीडी में दिखाने आने वाले मरीजों के लिए भी नियम बदले हैं।

ओपीडी में एक महीने में 6 बार से ज्यादा नहीं दिखा सकेंगे

इस स्कीम के तहत मरीजों को ओपीडी में दिखाने की संख्या को भी सीमित कर दिया है। इस स्कीम के तहत एक लाभार्थी एक महीने में अधिकतम 6 बार ही ओपीडी में जाकर दिखा सकता है। फिर वह चाहे एक ही दिन में दिखाए या अलग-अलग दिन। हालांकि इस बीच जो जांच एक बार मरीज से करवा ली, उसे 15 दिन के अंदर दूसरी बार रिपीट नहीं करवा सकेंगे।

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या बोर्ड से मिलेगी अनुमति

अगर कोई प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक किसी मरीज को 5 दिन से ज्यादा समय तक भर्ती रखता है तो उसे स्वीकृति लेनी होगी। इसके तहत अगर मरीज आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती है तो उसे जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल या कॉलेज के बनाए मेडिकल बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। अनुमति लेकर अधिकतम 12 दिन तक और भर्ती करके इलाज किया जा सकता है। जहां मेडिकल कॉलेज संचालित नहीं है, वहां के प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर (पीएमओ) से अनुमति लेनी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *