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सतीश पूनिया को तो मिल गई राजनीतिक भूमिका, कब खत्म होगा राजेन्द्र राठौड़ का वनवास?

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RASHTRADEEP NEWS

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के बाद भी बीजेपी की सियासत में हलचल मची हुई है। बीजेपी का टारगेट अब पांच विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर टिका हुआ है। इधर, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को हरियाणा का बीजेपी प्रभारी बनाया गया है। राजनीतिक जानकार इसे पूनिया को राजस्थान की राजनीति से दूर करने का मतलब निकाल रहे हैं। वहीं भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को लेकर भी जमकर सियासी चर्चा बनी हुई है। राठौड़ का राजनीतिक भविष्य और अगली भूमिका क्या होगी? इसको लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। सियासत में सवाल घूम रहा है कि पूनिया को हरियाणा का प्रदेश प्रभावी बनाया, लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद राठौड़ का राजनीतिक वनवास कब समाप्त होगा? आखिर उनका नंबर कब आएगा? इसको लेकर भी काफी चर्चाए चल रही है।

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पूनिया के बाद राठौड़ को इंतजार!

बता दें कि राजस्थान बीजेपी के दोनों दिग्गज नेता सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद दोनों नेताओं के सियासी भविष्य को लेकर काफी सवाल उठे, कई तरह की राजनीतिक चर्चा भी चली। इस बीच राठौड़ और पूनिया दोनों बीते दिनों दिल्ली में पार्टी हाई कमान के पास अचानक मुलाकात करने पहुंचे। इसको लेकर सियासत में जमकर हलचल मची। राजनीतिक जानकार दोनों की मुलाकात को लेकर उनकी अगली भूमिका के कयास लगाने लग गए। हालांकि, सतीश पूनिया की मेहनत रंग लाई और उन्हें हरियाणा बीजेपी का प्रदेश प्रभारी बनाया गया, लेकिन अभी भी राजेंद्र राठौड़ को लेकर सवाल बरकरार है की आखिर राठौड़ का नंबर कब आएगा?

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संगठन में मिलेगी जिम्मेदारी या उपचुनाव के मैदान में उतरेंगे?

चुनाव परिणाम आने के बाद राजेंद्र राठौड़ अचानक दिल्ली में पार्टी हाई कमान के पास मुलाकात करने पहुंचे। इसको लेकर सियासत में जमकर हलचल मची। सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि क्या राठौड़ को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, लेकिन फिलहाल अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। इधर, राठौड़ की भूमिका को लेकर सियासी चर्चा है कि क्या राठौड़ को पूनिया की तरह संगठन में जिम्मेदारी मिलेगी या फिर से उपचुनाव में बीजेपी उनको आजमा सकती है। बता दें कि राठौड़ लगातार 6 बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं, लेकिन पिछले चुनाव में बड़े आश्चर्य तरीके से उनको हार का सामना करना पड़ा। इसको लेकर सियासत भी हैरान है। ऐसे में एक कयास यह भी है कि राठौड़ की अप्रत्याशित हार के बाद बीजेपी फिर उन्हें उपचुनाव चुनाव में मौका दे सकती है। इससे पहले भी बीजेपी ने विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी ज्योति मिर्धा को लोकसभा का चुनाव लड़ाया था।

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