
महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है. शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान तीर-कमान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. क्योंकि चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट पार्टी का नाम शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न तीर कमान सौंप दिया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से उठापटक जारी है. शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी चल रही थी. इसी बीच चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है. EC के इस फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है।

चुनाव आयोग ने पाया कि शिवसेना के मूल संविधान में गुपचुप तरीके से अलोकतांत्रिक तरीकों को लाया गया, यानी ऐसे प्रावधान किए गए जिससे पार्टी निजी जागीर जैसी हो गई है. हालांकि इन्हीं तौर-तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था, लेकिन इन्हें बाद में गुपचुप तरीके से शामिल किया गया. चुनाव आयोग ने साफ किया कि ऐसे में पार्टी भरोसा जगाने में असफल नहीं हो सकती. उद्धव खेमे के अरविंद सावंत ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. भाजपा महाराष्ट्र के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने चुनाव आयोग के कदम को “लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत” बताया।