🟡 Supreme Court on Waqf Act
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार करते हुए केवल कुछ विवादित प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है।
🔹 5 साल तक इस्लाम पालन की शर्त पर रोक
अदालत ने धारा 3(r) के उस प्रावधान पर रोक लगाई है। जिसमें वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त थी। कोर्ट का कहना है कि जब तक इस पर स्पष्ट नियम नहीं बनते, तब तक यह लागू नहीं होगा।
🔹 संपत्ति अधिकार पर कार्यपालिका का दखल खत्म
कोर्ट ने धारा 3(c) और 3(d) से जुड़े प्रावधानों पर कहा कि किसी भी कलेक्टर या कार्यपालिका को संपत्ति अधिकार तय करने का अधिकार देना शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के खिलाफ है। जब तक वक्फ ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट अंतिम फैसला नहीं देते, तब तक न तो किसी वक्फ संपत्ति से बेदखली होगी और न ही राजस्व रिकॉर्ड में बदलाव किया जाएगा।
🔹 तीसरे पक्ष के अधिकार सुरक्षित नहीं होंगे
अदालत ने यह भी साफ किया कि विवादित संपत्तियों पर अंतिम निपटारे से पहले किसी तीसरे पक्ष के अधिकार नहीं बनाए जाएंगे।
🔹 वक्फ बोर्ड की संरचना पर कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य ही हो सकते हैं। यानी 11 में से बहुमत मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। साथ ही, जहां तक संभव हो, बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मुस्लिम ही होना चाहिए।
🔹 संवैधानिक वैधता की धारणा बरकरार
कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश कानून की पूरी वैधता पर अंतिम राय नहीं है बल्कि अंतरिम सुरक्षा है। सामान्य तौर पर किसी भी कानून के पक्ष में संवैधानिक वैधता की धारणा रहती है।