RASHTRA DEEP NEWS
बेंगलुरु में हुई विपक्ष की बैठक के बाद नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें सामने आई। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अचानक से कांग्रेस की विपक्ष को एकजुट करने की सक्रियता को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वीकार नहीं कर पाए हैं। क्योंकि विपक्ष को साथ लाने की पहली बड़ी पहल नीतीश ने की थी। उनके ही प्रयास से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का पहला जुटान पटना में 23 जून को हो पाया था। यह नीतीश की बड़ी सफलता मानी जाती है। इसी वजह से माना जा रहा था कि नीतीश कुमार को विपक्ष बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती हैं। जिसमें संयोजक का पद भी शामिल है।
लेकिन अब सोनिया गांधी की एक्टिवनेस से नीतीश के बदले विपक्ष के केंद्र में कांग्रेस आ गई। इस बैठक में जिन प्रमुख मद्दों पर चर्चा होनी थी और फैसले लेने थे उसको लेकर नीतीश कुमार ने एक लंबी लिस्ट बनाई थी। जिसमे पांच सूत्रीय ब्लू प्रिंट भी था जिस पर कोई फैसला नहीं लिया गया। वहीं खबर है कि नीतीश कुमार गठबंधन के नए नाम भी सहमत नही है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार को विपक्ष के गंठबंधन के नए नाम ‘INDIA’ से भी आपत्ति है।
इस बीच बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी कहा है कि नीतीश कुमार को नए महागठबंधन I.N.D.I.A संयोजक नहीं बनाया गया।इसलिए वे नाराज हैं और विपक्ष की बैठक से जल्दी निकल गए थे। यही वजह है कि वो बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस तक में शामिल नहीं हुए। सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार कभी पीएम कैंडिडेट नहीं हो सकते हैं। विपक्षी दलों ने उनके साथ चाहे जो भी किया हो, फिलहाल नीतीश कुमार के लिए NDA में वापसी के सारे दरवाजे बंद हो गए।