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बीकानेर के सौंदर्यीकरण के लिए यूआईटी की कृपा…

RASHTRA DEEP NEWS BIKANER। यूआईटी ने चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए 6.25 करोड़ का टेंडर निकाला है। लेकिन खास बात ये है कि टेंडर निकलने से पहले ही इन चौराहों का सौंदर्यीकरण एक फर्म के जरिए करवा लिया गया है। अब टेंडर उसी फर्म को मिले इसके लिए यूआईटी अधिकारियों ने 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त रख दी। इन चौराहों पर होर्डिंग लगाने से होने वाली आय भी सौंदर्यीकरण करवाने वाली फर्म को ही मिलेगी। हैरानी की बात ये है कि शहर में प्रचार-प्रचार और होर्डिंग लगाने का अधिकार क्षेत्र नगर निगम का है। टेंडर 28 अप्रैल को ऑनलाइन अपलोड कर दिया गया, लेकिन फर्म विशेष को कोई कॉम्पिटीटर ना मिले इसलिए अखबारों में विज्ञापन टेंडर भरने के दो दिन पहले जारी किया गया। वह दीगर बात है कि अब टेंडर में तीन फर्में गई। दरअसल विकास न्यास ने शहर के चौराहों-डिवाइडर के सौंदर्यीकरण, मेंटेनेंस, कलर प्रिंट और कुछ जगह नए डिवाइडर के लिए एक टेंडर किया है। इस पर चार करोड़ की लागत आएगी और प्रति वर्ष 15 लाख रुपए मेंटेनेंस में खर्च होंगे। 15 साल में कुल लागत सवा छह करोड़ के करीब होगी। जो फर्म इस काम को करेगी उसके बदले यूआईटी चौराहों पर लगे इलेक्ट्रिक पोल पर निश्चित माप के विज्ञापन के अधिकार संबंधित फर्म की होगी। एक विज्ञापन की दर न्यूनतम 40 हजार रुपए है। एक ही चौराहे से करीब ढाई लाख की कमाई फर्म को होगी। शहर के करीब 40 से 50 चौराहों पर ऐसे ही विज्ञापन लगाए जाएंगे।

अधिकारों पर भी अतिक्रमण, मेंटेनेंस करने वाली फर्म ही 15 साल तक चौराहों पर विज्ञापन से कमाएगी।

पुराना है यूआईटी – निगम के बीच होर्डिंग विवाद, नगर निगम और नगर
विकास न्यास के बीच होर्डिंग लगाने के अधिकार को लेकर पुराना विवाद है। सारे नियम कायदे नगर निगम के पक्ष में हैं, लेकिन न्यास अध्यक्ष कलेक्टर के होने के कारण निगम अधिकारी भी एक सीमा से ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रहे। सूत्र बताते हैं कुछ समय पहले कलेक्टर ने ही निगम को अधिकार देने के लिए न्यास सचिव को कहा था।

टेंडर खुला नहीं, विज्ञापन लग गए, यूआईटी की कृपा किस हद तक फर्म पर है कि अभी तक वो टेंडर नहीं खुला मगर शहर में होर्डिंग लगने शुरू हो गए। वो भी फर्म विशेष की ओर से। टेंडर में 6 महीने की छूट और दी जाएगी। जाहिर है उसी फर्म को टेंडर जाए इसीलिए 100 करोड़ का टर्नओवर मांगा गया। इसमें भी सत्तापक्ष के प्रभावशाली नेताओं की मिलीभगत है। न्यास अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों के भी उसी फर्म से जुड़े लोगों के साथ अच्छे संबंध हैं। हैरानी की बात ये है कि जिस नगर निगम के पास शहर में होर्डिंग, प्रचार-प्रसार के लिए टेंडर करने का अधिकार है उसे किसी ने पूछा तक नहीं। यहां तक कि उससे एनओसी तक नहीं लगी गई।

सत्ता की हनक, निगम अधिकारी मौन, टेंडर अखबारों में प्रसारित हुआ। नगर निगम अधिकारियों को मालूम है कि यहां होर्डिंग लगेंगे। प्रचार-प्रसार होगा। ये अधिकार क्षेत्र उनका है लेकिन निगम की ओर से भी कोई पत्राचार यूआईटी को नहीं किया गया। जबकि कुछ समय पहले ही वित्त कमेटी ने होर्डिंग का जिम्मा नगर निगम को सौंपने के आदेश प्रशासनिक अधिकारियों को जारी किए थे। उसके बाद निगम और यूआईटी अधिकारियों के बीच सहमति बनी। अधिकार निगम को सुपुर्द भी कर दिए बावजूद इसके अब होर्डिंग लगाने का अधिकार यूआईटी ठेकेदार को देगी। नियमानुसार यूआईटी पहले निगम से होर्डिंग के रेट पूछती और फिर वो रेट निगम में जमा होने के बाद फर्म को होर्डिंग लगाने की अनुमति जारी करती।

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