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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण के साथ भाजपा-कांग्रेस की बगावत को थामने में भाजपा कांग्रेस की तुलना में तेजी से काम कर रही है।

कांग्रेस देहात अध्यक्ष बिशनाराम सियाग ने मनाया मगर बेनीवाल नहीं माने।दरअसल लूणकरणसर से वीरेन्द्र बेनीवाल टिकट के दावेदार थे। छह बार उनके पिता और दो बार खुद कांग्रेस से विधायक रहे। लगातार दो बार चुनाव हारने के कारण उनका टिकट काट दिया। लूणकरणसर में मीटिंग हुई और बेनीवाल ने 6 नवंबर को निर्दलीय नामांकन कर दिया। सूत्र बताते हैं कि गुरुवार को यहां आए सीएम अशोक गहलोत ने नाल एयरपोर्ट से बेनीवाल से संपर्क किया था। देहात अध्यक्ष बिशनाराम सियाग भी सीएम का संदेश लेकर उनसे मुलाकात की मगर बात नहीं बनी। 6 नवंबर को उन्होंने नामांकन कर दिया।
इससे पूर्व बीकानेर पश्चिम से प्रदेश सचिव रहे राजकुमार किराडू बीते गुरुवार को ही भाजपा का दामन थाम चुके हैं। विरोध के स्वर भाजपा में भी फूटे थे लेकिन- ताराचंद सारस्वत के नामांकन में किसन लाल गोदारा से लेकर रामगोपाल सुधार तक एक मंचपर नजर आए। बीकानेर पूर्व से सिद्धि कुमारी के साथ महावीर रांका आ गए। सुरेन्द्र सिंह भी भाजपा उम्मीदवार के साथ आ गए। नोखा में शुक्रवार को ही बिहारीलाल बिश्नोई के नामांकनमें कन्हैयालाल सियाग भी शामिल हुए। कानूनमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने नोखा विधायक बिहारी लाल बिश्नोई से लेकर पूर्व संसदीय सचिव डॉ. विश्वनाथ मेघवाल से बंद कमरे में बात कर गिले शिकवे दूर कर लिए। यहां तक कि कोलायत से अंशुमान सिंह भाटी के नामांकन मैं मेघवाल नहीं पहुंचे लेकिन अपना शुभकामना संदेश भेजा जिसे सभा में पढ़कर सुनाया गया।भाटी ने भी सभा के आसपास अन्य नेताओं के साथ अर्जुनराम मेघवाल के कट आउट लगाए।