Pahalgam Terrorist Attack Mastermind
जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम इलाके के पास बसे मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर बैसरन में मंगलवार को एक भीषण आतंकी हमला हुआ। इस हमले में अब तक 28 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है, जिनमें ज्यादातर मासूम पर्यटक शामिल हैं। 2019 के पुलवामा हमले के बाद यह घाटी में हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।
टूरिस्टों का कहना है कि, जंगल की तरफ से दो लोग आए। उन्होंने एक टूरिस्ट से नाम पूछा। टूरिस्ट ने अपना नाम बताया। जंगल से आए लोगों में से एक टूरिस्ट की ओर इशारा करके बोला- ये मुस्लिम नहीं है। इसके बाद पिस्टल निकाली और टूरिस्ट के सिर में गोली मार दी। करीब 10 मिनट तक गोली चलाते रहे। टूरिस्ट्स और दुकानदारों को समझ आ गया कि ये आतंकी हमला है। मृतकों में संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल के दो विदेशी नागरिकों समेत दो स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। शिनाख्त के बाद अब तक 22 शवों की पहचान हो चुकी है। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट ग्रुप ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस नृशंस हमले की जिम्मेदारी ली है।
कौन है सैफुल्लाह खालिद?
इस हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद है। जिसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। वह लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ और भारत के सबसे बड़े दुश्मन हाफिज सईद का बेहद करीबी सहयोगी है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, सैफुल्लाह पाकिस्तान में वीवीआईपी की तरह जीवन व्यतीत करता है। उसके काफिले और सुरक्षा व्यवस्था की तुलना प्रधानमंत्री स्तर की सुरक्षा से की जा रही है।पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों द्वारा फूल बरसाकर स्वागत पाने वाला सैफुल्लाह, हाल ही में कब्जे वाले पंजाब के कंगनपुर इलाके में एक भड़काऊ भाषण भी दे चुका है। जहां पाकिस्तानी सेना के कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे आमंत्रित किया था। खैबर पख्तूनख्वा में आयोजित एक सभा में उसने भारत और भारतीय सेना के खिलाफ खुलेआम जहर उगला और 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर पर कब्जा करने की धमकी दी थी।
आर्टिकल 370 हटने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का गठन किया था। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फंडिंग नेटवर्क से संचालित होता है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, TRF की ‘फाल्कन स्क्वॉड’ और ‘हिट स्क्वॉड’ जैसी टारगेट किलिंग यूनिट्स घाटी में दहशत फैलाने में लगी हैं।
भारत की चुनौती और सख्त संदेश
भारतीय एजेंसियों के लिए अब यह सबसे बड़ी प्राथमिकता बन गई है कि सैफुल्लाह खालिद जैसे आतंकियों को जड़ से खत्म किया जाए। जब तक ऐसे गुनहगारों का सफाया नहीं होगा, तब तक कश्मीर में स्थायी शांति और स्थिरता की उम्मीद अधूरी रहेगी। पहलगाम का यह हमला एक बार फिर दुनिया को यह एहसास कराता है कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की आवश्यकता अब और भी ज्यादा बढ़ गई है।