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क्या हिंदी मीडियम से IAS बना जा सकता है? इस सवाल का जवाब तो हां है, लेकिन जब हिंदी माध्यम से IAS बनने वालों की गिनती की जाए तो यह संख्या बेहद कम निकलती है।राजस्थान तीन राज्यों में शामिल है, जहां से पिछले 10 वर्षों में सर्वाधिक आईएएस बने हैं। लेकिन, इन्हीं 10 वर्षों में प्रदेश से मात्र 2 युवा ही हिंदी माध्यम से आईएएस बन पाए हैं।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग और राजस्थान के कार्मिक विभाग के अनुसार 2010 में डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी हिंदी माध्यम से आईएएस बने थे।उनके बाद केवल दो युवा रवि सिहाग (2021) और मोहन लाल जाखड़ (2023) ही हिंदी माध्यम से सफल हुए हैं।रवि मध्यप्रदेश कैडर में तैनात हैं। मोहन लाल जाखड़ मंगलवार को जारी परिणामों में 53वीं रैंक पर चयनित हुए हैं। जाखड़ बाड़मेर के रहने वाले हैं और आईआईटी खड़गपुर के छात्र रहे हैं।
सिविल सर्विसेज एग्जाम-2023 में कुल 1016 अभ्यर्थी चयनित हुए। इनमें से 10 हिंदी मीडियम के हैं। इससे पहले के दो बैच में 52 और 24 युवा हिंदी माध्यम से सिलेक्ट हुए थे। मंगलवार को जारी रिजल्ट में हिंदी मीडियम से विनोद कुमार मीणा ने 135वीं और ईश्वर गुर्जर ने 553वीं रैंक हासिल की। हालांकि रैंक को देखते हुए इन्हें आईएएस मिलने की कम संभावना जताई जा रही है।बीते 10 वर्षों (2014 से 2023 बैच तक) में केंद्र सरकार ने राजस्थान को 83 आईएएस अफसर आवंटित (कैडर) किए हैं। इनमें भी केवल एक आईएएस अफसर निशांत जैन (2014 बैच) ही हिंदी माध्यम से थे। जैन मूलतः उत्तरप्रदेश के हैं।
एक्सपर्ट्स ने बताया, क्यों नहीं मिलती हिंदी मीडियम से कामयाबी-
• हिंदी माध्यम से 53वीं रैंक पाने वाले मोहन लाल जाखड़ ने बताया- यूपीएससी की परीक्षा का मैथड ही ऐसा है कि ज्यादातर युवा इंग्लिश मीडियम ही चुनते हैं। पाठ्य सामग्री की उपलब्धता और लिखने में आसानी रहती है। मार्क्स भी बेहतर मिलते हैं। फिर भी कोई युवा अगर हिंदी माध्यम से परीक्षा देना चाहे तो भरपूर मेहनत करे। इस माध्यम से भी सफलता मिलती है।
• आईएएस की परीक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण पाठ्य सामग्री अंग्रेजी में ज्यादा है। हिंदी में गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें और साहित्य उपलब्ध नहीं है।
• ब्यावर एसडीएम गौरव बुडानिया का कहना है कि हिंदी और अंग्रेजी में लिखने की रफ्तार में भी बहुत अंतर है। हिंदी में 100 शब्द लिखने में जितना समय लगता है, उससे कम समय लगता है अंग्रेजी में 100 शब्द लिखने में। एग्जाम में एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है।
• कोचिंग क्लासेज में भी हिंदी की तुलना में इंग्लिश मीडियम से तैयारी कराने वाले शिक्षक आसानी से मिल जाते हैं।
• पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, विज्ञान, अंतरिक्ष, संविधान, समुद्र, अंतरराष्ट्रीय युद्ध व संबंध, विदेश नीति जैसे विषयों पर अंग्रेजी भाषा में ज्यादा अच्छी सामग्री उपलब्ध है।
• आईएएस बनने वाले 90 प्रतिशत युवा इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनजमेंट, गणित या विज्ञान से होते हैं। जिनका स्वयं के अध्ययन का विषय भी इंग्लिश ही रहा होता है।
• भारतीय विदेश सेवा, भारतीय राजस्व सेवा में तो हिंदी माध्यम से चयन दुर्लभ ही है, क्योंकि इन सेवाओं के अधिकारियों का लगभग 99 प्रतिशत काम इंग्लिश में होता है।
• राजस्थान कॉलेज के प्राचार्य विनोद शर्मा का कहना है कि यूपीएससी की परीक्षाओं का माहौल पूरी तरह से इंग्लिश के पक्ष वाला होता है। ऐसे में प्रश्न पत्रों से लेकर उत्तर पुस्तिकाओं की जांच, साक्षात्कार आदि सभी में इंग्लिश का बोलबाला होना ही है। प्रोफेसर संजय सिन्हा का कहना है कि हिंदी बोलने वाले लोग करोड़ों में हैं, लेकिन हिंदी में अधिकारपूर्वक लिखने वालों की संख्या कम है। वहीं, अंग्रेजी में अधिकारपूर्वक लिखने और अभिव्यक्त करने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।