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दिल्ली के बॉर्डर पर एक बार फिर किसानों का जमावड़ा लग चुका है। सीमाई इलाकों की परिवहन व्यवस्था ठप्प पड़ चुकी है। MSP लागू करने सहित किसानों की 12 मांगें हैं, जिन्हें पूरा करवाने के लिए वो सड़कों पर उतर आए हैं।
दरअसल, साल 2020 और 2021 में किसान आंदोलन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) बना, जिसके बैनर तले कई किसान संगठन आए। आंदोलन खत्म होने के बाद इनमें मतभेद बढ़ गए।इसके बाद SKM (गैर-राजनीतिक) बना, जो बाद में किसान मजदूर मोर्चा (KMM) में बदल गया। KMM ने ही 13 फरवरी के ‘दिल्ली चलो’ का आयोजन किया है। इस बार वाले किसान आंदोलन की अगुवाई पंजाब में फरीदकोट के दल्लेवाल गांव से ताल्लुक रखने वाले भारती किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल और केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर कर रहे हैं। दल्लेवाल सितंबर 2022 में लगातार तीसरी बार संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वहीं, पंधेर एक अमृतधारी सिख हैं। पंधेर लंबे समय तक बीकेयू (उगराहां) की जिला इकाई के अध्यक्ष भी रहे।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने 16 फरवरी को देश बंद का आह्वान किया है। इस बार वो अपना आंदोलन अलग चला रहे हैं। टिकैत आगे की रणनीति 16 फरवरी ही को बताएंगे।